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सारण, 18 दिसंबर (हि.स.)।भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले लोककवि भिखारी ठाकुर की जयंती गुरुवार को उनके पैतृक गांव कुतुबपुर में श्रद्धापूर्वक मनाई गई। इस अवसर पर बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने उनके आश्रम पहुंचकर उनकी आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि शब्द संवेदना से जन्म लेते हैं और संवेदना शोक से उत्पन्न होती है। इसी प्रक्रिया से काव्य की उत्पत्ति होती है।
उन्होंने भिखारी ठाकुर को एक अत्यंत संवेदनशील कवि बताया जिन्होंने समाज की पीड़ा संघर्ष और यथार्थ को अपनी रचनाओं में स्वर दिया। उन्होंने कहा कि भिखारी ठाकुर का साहित्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना का सशक्त माध्यम था। समारोह के दौरान राज्यपाल ने भिखारी ठाकुर के प्रसिद्ध नाटक गबरघिचोर की प्रस्तुति देखी। उन्होंने नाटक की सराहना करते हुए कहा कि उनके नाटक लोक जीवन की सच्चाइयों और सामाजिक विडंबनाओं को सहजता से प्रस्तुत करते हैं। गबरघिचोर और बिदेसिया जैसे नाटकों में नारी विमर्श पलायन और हाशिए पर खड़े लोगों का जो जीवंत चित्रण मिलता है वह आज के समय में भी उतना ही प्रासंगिक है।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यकार, जनप्रतिनिधि और स्थानीय ग्रामीण उपस्थित थे जिन्होंने भिखारी ठाकुर के व्यक्तित्व और कृतित्व को याद किया। अंत में राज्यपाल ने युवाओं से आह्वान किया कि वे भिखारी ठाकुर की रचनाओं से प्रेरणा लेकर समाज को कुरीतियों से मुक्त करने का संकल्प लें।
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हिन्दुस्थान समाचार / धनंजय कुमार