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जयपुर, 18 दिसंबर (हि.स.)। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर झोटवाड़ा के ग्राम नांगल जैसा बोहरा में मेरी पहल संस्था एनजीओ के परिसर में अवैध तौर पर बंधक बनाए गए 18 लोगों को रेस्क्यू ऑपरेशन में मुक्त कराया गया। इनमें 11 महिलाएं व 7 पुरुष शामिल थे। वहीं संस्था संचालक को भी गिरफ्तार किया गाय। कार्रवाई के बाद महिलाओं और पुरुषों को उनके घर भेजा गया। वहीं इनमें से कुछ महिलाओं को महिला सदन में रखा गया है और उनके परिजनों से संपर्क किया जा रहा है।
कार्रवाई में पता चला कि एनजीओ संस्था के परिसर में संचालक ने खुद को भिक्षुक पुनर्वास केंद्र संचालन करने वाला बताया, लेकिन वहां पर कौशल विकास या पुनर्वास कार्य नहीं किया जा रहा था। रेस्क्यू अभियान की कार्रवाई हाईकोर्ट के एक्टिंग सीजे व प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा के निर्देश पर की। इस अभियान में प्राधिकरण के सदस्य सचिव हरिओम अत्रि, निदेशक नीरज कुमार भारद्वाज, जिला प्राधिकरण के सचिव पल्लवी शर्मा और पवन कुमार जीनवाल सहित पुलिस जाब्ता मौजूद रहा। गौरतलब है कि मानवाधिकार दिवस पर प्राधिकरण की टीम एनजीओ में निरीक्षण में लिए गई थी। वहां टीम ने जब संचालक व मौजूद लोगों से बातचीत की तो गड़बड़ी का पता चला था। निरीक्षण के दौरान रजिस्टर में दर्ज कुछ नाम के लोग मौके पर नहीं थे, जबकि मौके पर उपस्थित कुछ महिलाओं के नाम रजिस्टर में नहीं थे। वहीं एनजीओ परिसर में कई तरह की अनियमिता भी मिली थीं। वहीं संचालक ने परिसर में निगरानी के लिए 20 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगा रखे थे। रेस्क्यू की गई महिलाओं में एक युवती डी.फार्मा थी, जो न तो भिक्षुक है और न उसे किसी स्किल ट्रेनिंग की जरूरत थी। स्किल डेवलपमेंट के नाम पर एनजीओ में ढोलक बजाना सिखाया जा रहा था। रेस्क्यू किए लोगों में से तीन पुरुषों को तब पकडक़र लाए, जब वे रेलवे लाइन के किनारे चल रहे थे। भरतपुर के एक व्यक्ति को जनवरी 2023 में रेलवे स्टेशन से उठाया था। उससे खाना बनवाने का काम करवाया जा रहा था, लेकिन उसे कोई पारिश्रमिक नहीं दिया जा रहा था।
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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक