विलुप्त हो रहे पशु पक्षी व अन्न को संरक्षित करने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित
सहरसा,18 दिसंबर(हि. स.)। बिहार राज्य जैव विविधता पर्षद को लेकर पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित कर पंचायत,प्रखण्ड एवं जिला स्तर पर गठित जैव विविधता प्रबंधन समिति के अध्यक्ष एवं सदस्यों को किया प्रशिक्षित ज
कार्यशाला


सहरसा,18 दिसंबर(हि. स.)। बिहार राज्य जैव विविधता पर्षद को लेकर पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित कर पंचायत,प्रखण्ड एवं जिला स्तर पर गठित जैव विविधता प्रबंधन समिति के अध्यक्ष एवं सदस्यों को किया प्रशिक्षित जो अपने क्षेत्र में जाकर लोगों को जैव विविधता को सुरक्षित व संरक्षित रखने के लिए जागरूक करेंगे। बिहार राज्य जैव विविधता पर्षद को लेकर पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा सहरसा में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित कर पंचायत,प्रखण्ड एवं जिला स्तर पर गठित जैव विविधता प्रबंधन समिति के अध्यक्ष एवं सदस्यों को किया प्रशिक्षित जो अपने क्षेत्र में जाकर लोगों को जैव विविधता को सुरक्षित व संरक्षित रखने के लिए जागरूक करेगे।बिहार राज्य जैव विविधता पर्षद के उप निदेशक मिहिर कुमार झा ने बताया कि वन विभाग द्वारा जैव विविधता प्रबंधन एवं संरक्षण को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया है। जिसमे पंचायत,प्रखण्ड एवं जिला स्तर पर गठित जैव विविधता प्रबंधन समिति के अध्यक्ष,सचिव एवं सदस्य शामिल हुए। जिसे पटना से आये जैव विशेषज्ञों की टीम के द्वारा इन सभी को प्रशिक्षित किया गया। साथ ही जैव संरक्षण से संबंधित योजनाओं को बारीकी से बताया गया। इस तरह के प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य लोगों को जैव प्रबंधन एवं संरक्षण के संदर्भ में जानकारी देना जिससे वह अपने क्षेत्र में जाकर लोगों को जैव संरक्षण के प्रति जागरूक करेगा।कार्यक्रम में शामिल जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी ने भी जैव विविधता प्रबंधन व संरक्षण को वर्तमान परिप्रेक्ष्य कितना जरूरी है को आंकड़ा के अनुसार बताते हुये लोगो को जागरूक करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि पहले गंगा नदी में मछलियों का160 प्रजातियां पायी जाती थी जो घटकर 80 हो गया है। वहीं पक्षियों की अनेकों प्रजातियां पाई जाती थी जो अब सिर्फ सहरसा में 170 पक्षियों की प्रजातियां पाई जा रही है।उसी तरह पशुओं की अनेकों प्रजातियां थी जो घट गयी है। वही पहले किसानों के द्वारा अनेकों तरह के फसलों को उगाया जाता था।जो अब लुप्त हो गया। ऐसे में हमलोंगों का उद्देश्य है कैसे इन विलुप्त हो रहे वेरायटी को बढ़ाया जा सके और बढ़े हुए वेरायटी को हम संरक्षित कर सकते हैं इसी को लेकर इस तरह के कार्यशाला का आयोजन किया गया है।

हिन्दुस्थान समाचार / अजय कुमार