Enter your Email Address to subscribe to our newsletters


देहरादून, 16 दिसंबर (हि.स.)। उत्तराखंड वन विभाग के जीपीएस और सेटलाइट चित्रों से चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। राज्य के तराई सेंट्रल, तराई वेस्ट में करीब पांच हजार हेक्टेयर वन भूमि पर वन गुर्जर कब्जा कर खेती कर रहे हैं और वन भूमि पर इनके कब्जे तेजी से बढ़ रहे हैं। यह लोग भारत-तिब्बत सीमा के जंगलों में भी तेजी से घुसपैठ कर रहे हैं। सेटेलाइट चित्र सामने आने के बाद वन विभाग अब सत्यापन कर वन भूमि को कब्जा मुक्त करने की तैयारी कर रहा है।
वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक और अतिक्रमण हटाओ अभियान के नोडल अधिकारी डाॅ पराग मधुकर धकाते के अनुसार जीपीएस व सेटेलाइट से यह सामने आया आया है कि लगातार कब्जे बढ़ रहे हैं और अब इस पर कार्रवाई निश्चित है। उन्होंने कहा कि सभी वन प्रभागों से वन गुर्जरों की रिपोर्ट आ गई है। अवैध और वैध कब्जेदारों का सत्यापन का काम चल रहा है। किसी भी परिवार के पास एक हेक्टेयर से ज्यादा जमीन मिली अथवा उसने जमीन खरीदी अथवा बेचने का काम किया गया तो उसके खिलाफ वन अधिनियम के तहत कानूनी कारवाई की जाएगी।
जानकारी के अनुसार घने वनों में मुस्लिम समुदाय के वन गुर्जरों की आमद तेजी से बढ़ रही है। इन मुस्लिम वन गुर्जरों पर जमीनों पर कब्जों के साथ ही वन्य जीवों के शिकार करने के भी आरोप हैं। पूर्व में ऐसे कई मामले सामने आए हैं। इससे पहले हरिद्वार जिले के पूर्व प्रभागीय वनाधिकारी आकाश वर्मा के कार्यकाल में एक मुस्लिम गुर्जर के घर से बाघ की खाल और हड्डियां जमीन में गढ़ी बरामद हुई थीं। इसी तरह तराई के आम पोखरा रेंज में गुलाम रसूल नाम के मुस्लिम वन गुर्जर के घर से हाथी दांत बरामद हुए थे और आरोपित ने कबूल किया था कि उसने हाथी को करंट लगा कर मारा था। एक अन्य वन गुर्जर मोहम्मद कासिम भी हाथी दांत की तस्करी में पकड़ा गया। यह ऐसे कई मामले हैं, जिनमे मुस्लिम गुर्जर वन्य जीव जंतुओं के शिकार, वन संपदा के दोहन जैसे इमारती लकड़ी, खनन और दुर्लभ जड़ी बूटियों की तस्करी में लिप्त होना पाया गया। वन विभाग का यह भी मानना है कि हथियार चलाने में माहिर मुस्लिम वन गुर्जर अंतरराष्ट्रीय वन्य जीव तस्करों से मिले हुए हैं और जंगल के रास्तों से वाकिफ होने के कारण ये बड़े स्तर पर तस्करी भी कर रहे हैं।
जानकारों की मानें ताे उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व से वन गुर्जरों को बाहर निकाल कर बसाने के काम में मुस्लिम वन गुर्जर समुदाय के साथ हिमाचल, कश्मीर और यूपी के मुस्लिम वन गुर्जरों ने जमात के साथ मिलकर योजनाबद्ध के तहत बसावट की है। राजाजी टाइगर रिजर्व में विस्थापन से पूर्व 512 परिवार ही 1998 के सर्वे में आए किंतु जब विस्थापन हुआ तो इनकी संख्या पांच हजार से ज्यादा हो गई और आज भी कई वन गुर्जर सरकारी खामियों का फायदा उठाकर जमीन कब्जाने के दावे कर रहे हैं। विस्थापन के तहत 1632 में से 1390 वन गुर्जरों का ही राजाजी से और 224 का कॉर्बेट टाइगर रिजर्व कालागढ़ से विस्थापन किया जाना था, लेकिन अब इनकी संख्या हजारों में हो गई और वन विभाग अब गंभीर चिंता में है।
दरअसल, उत्तराखंड में जिन परिवाराें को विस्थापन होने के लिए एक हेक्टेयर जमीन और करीब साढ़े चार लाख रुपये दिए गए थे। पता चला है कि उनमें से कई लोग अपना मकान रख शेष जमीन को यूपी, हिमाचल, कश्मीर के गुर्जरों को दस रुपये के स्टांप पर बेच कर पहाड़ों की तरफ अपने पशु लेकर चले गए और वहां रिजर्व फॉरेस्ट में भी अपने डेरे डाल कर बैठ गए हैं। पहाड़ी जंगलों में भी बाहर के मुस्लिम गुर्जर पहुंच गए और वहां भी मदरसे खोल लिये। वन प्रभागों से मिली जानकारी के मुताबिक हजारों हेक्टेयर जमीन इस समय मुस्लिम वन गुर्जरों ने कब्जा ली है और इनकी संख्या भी पंद्रह हजार से ज्यादा है।
तिब्बत चीन सीमा तक पहुंच
उत्तराखंड की अंतरराष्ट्रीय सीमा तिब्बत और चीन सीमा तक मुस्लिम वन गुर्जर की पहुंच हाे रही है। कुछ साल पहले वन के अधिकारियों ने उन्हे गोविंद पशु विहार में जाने पर रोक लगा दी थी। वन अधिकारियों का कहना है कि यहां हिम तेंदुआ, मोनाल, ब्रह्मकमल, भालू, कस्तूरी मृग के साथ-साथ देश की सीमा को संरक्षित और सुरक्षा देना चाहते और ये गुर्जर इसके लिए बाधक बन रहे है। बताया जाता है कि कुछ एनजीओ और राजनेताओं के दबाव में ये आना-जाना पुनः शुरू हो गया है।
जनजाति क्षेत्र में वोटर बन गए मुस्लिम
हिमाचल से लगी उत्तरकाशी जिले की टोंस और यमुना घाटी के जंगलों में वन गुर्जरों की घुसपैठ से स्थानीय लोग भी चिंतित है। यहां रुद्र सेना लगातार वन विभाग को चेता रही है कि जंगलों में ये लोग अवैध बस्तियां बसा रहे है। रुद्र सेना के संयोजक राकेश तोमर उत्तराखंडी बताते है कि एक एनजीओ और राजनेताओं के संरक्षण में वन गुर्जरों के नाम वोटरलिस्ट में दर्ज हो गए है, उनके बच्चे सरकारी नौकरियों में जनजाति आरक्षण की मांग करने लगे है, ये षडयंत्र है जो अभी किसी को समझ नहीं आ रहा है। सेना ने जनजागरण अभियान भी शुरू किया है।
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ विनोद पोखरियाल