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नई दिल्ली, 15 दिसंबर (हि.स.)। लोकसभा में मंगलवार को उच्चतर शिक्षण संस्थानों के लिए सरल नियामक प्रणाली तैयार करने वाले विधेयक को संसद की संयुक्त समिति को भेज दिया गया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में ‘विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक 2025’ को संयुक्त समिति को भेजे जाने का प्रस्ताव किया, जिसे ध्वनिमत से स्वीकार कर लिया गया। कल मंत्री ने विधेयक को सदन के विचार हेतु रखा था।
विधेयक के अंतर्गत तीन परिषदों के साथ एक विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान की स्थापना का प्रावधान है। सरकार ने कल ही इस विधेयक को संयुक्त समिति को भेजने की मंशा जाहिर की थी। विधेयक को संसद की 21 सदस्यीय समिति को भेजा जाएगा, जिसमें से 11 सदस्य लोकसभा के और 10 सदस्य राज्यसभा के होंगे। इन्हें लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति तय करेंगे। विधेयक पर ध्वनिमत के दौरान विपक्ष के न बोलने पर अध्यक्ष ओम बिरला ने पूछा कि क्या वे इसे संयुक्त समिति को नहीं भेजना चाहते।
शिक्षा मंत्री प्रधान ने कल विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह कानून उच्च शिक्षा संस्थानों में मानक तय करने, रेगुलेशन को कोऑर्डिनेट करने और बेहतरीन काम, स्वायत्ता और पारदर्शी मान्यता को बढ़ावा देने के लिए ‘विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान’ स्थापित करना चाहता है। उन्होंने कहा कि यह कानून विश्वविद्यालयों और दूसरे उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वतंत्र सेल्फ-गवर्निंग संस्थान बनने में मदद करना चाहता है।
विधेयक का उद्देश्य विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को शिक्षण, अध्ययन, शोध और नवाचार में उत्कृष्ट बनाना तथा शिक्षा के मानकों में बेहतर तालमेल और गुणवत्ता सुनिश्चित करना है। यह विधेयक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम, 1956, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद अधिनियम, 1987 और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद अधिनियम, 1993 को समाप्त करने का भी प्रस्ताव करता है। ‘विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान’ एक शीर्ष संस्था होगी, जो उच्च शिक्षा के समग्र विकास के लिए दिशा-निर्देश देगी और सभी परिषदों के बीच समन्वय बनाए रखेगी।
नियामक परिषद मानकों के पालन को देखेगी, गुणवत्ता परिषद प्रत्यायन व्यवस्था की निगरानी करेगी और मानक परिषद शैक्षणिक मानकों को तय करेगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव पाश