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जयपुर, 16 दिसंबर (हि.स.)। ग्रह मण्डल के अधिपति सूर्यदेव के मंगलवार तडक़े मंगल की वृश्चिक राशि से निकल गुरुदेव बृहस्पति की राशि धनु में प्रवेश करने के साथ मलमास (खरमास) का आरंभ हो गया है। मलमास 14 जनवरी मकर संक्रांति तक प्रभावी रहेगा। इस अवधि में विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन, यज्ञोपवीत एवं अन्य सभी शुभ मांगलिक कार्य वर्जित माने गए हैं।
ज्योतिषाचार्य बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को जीवन, आत्मबल, आत्मविश्वास, पिता, ऊर्जा, उत्साह, शासन, वर्चस्व, मान-सम्मान, यश, ज्ञान, चिकित्सा, हृदय, प्रकाश, प्रखरता, सच्चाई, ईमानदारी, करियर का प्रमुख कारक ग्रह माना गया है। कुंडली में सूर्य पंचम भाव के स्वामी माने जाते हैं, जो विद्या, बुद्धि, शास्त्र, संतान और प्रेम भाव का प्रतिनिधित्व करता है।
पंचमेश सूर्य का धनु राशि अर्थात कालपुरुष के नवम भाव या धर्म भाव में गोचर धर्म, अध्यात्म, आस्था, जप-तप, व्रत, दान-पुण्य, तीर्थ यात्रा, देव दर्शन, पवित्र नदी स्नान एवं संगम स्नान जैसे धार्मिक अनुष्ठानों के लिए अत्यंत शुभ फलदायी माना गया है। इस अवधि में किए गए आध्यात्मिक कर्म विशेष पुण्य प्रदान करते हैं तथा ग्रहदोषों की शांति में सहायक सिद्ध होते हैं।
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार जब सूर्यदेव देवगुरु बृहस्पति की राशि धनु एवं मीन में गोचर करते हैं, तब उनका स्वाभाविक तेज और ऊर्जा मंद हो जाती है। इसी कारण इन दोनों राशियों में सूर्य के गोचर काल को मलमास या खरमास कहा जाता है। इस समय सांसारिक सुख-सुविधाओं से अधिक आत्मशुद्धि, संयम, सेवा और साधना को महत्व दिया गया है।
सूर्यदेव लगभग 30 दिनों तक एक राशि में गोचर करते हैं। धनु राशि में सूर्य का यह गोचर 14 जनवरी मकर संक्रांति तक रहेगा। इस दौरान धार्मिक प्रवृत्तियों में वृद्धि होगी तथा समाज में आस्था और भक्ति का वातावरण बनेगा। इस अवधि में व्रत, दान, हवन, पूजा-पाठ और सेवा कार्य करने से मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश