तानसेन समारोह आज से, पांच दिन सुरों की बारिश से सराबोर रहेंगी संगीतधानी ग्वालियर की फिजाएं
ग्वालियर, 15 दिसंबर (हि.स.)। भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव “तानसेन संगीत समारोह” की बेला आ गई है। मध्य प्रदेश की संगीतधानी ग्वालियर में आज पांच दिवसीय “तानसेन समारोह” का भव्य आगाज होगा। तानसेन समारोह का य
विश्व-स्तरीय संगीत समागम “तानसेन समारोह”


ग्वालियर, 15 दिसंबर (हि.स.)। भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव “तानसेन संगीत समारोह” की बेला आ गई है। मध्य प्रदेश की संगीतधानी ग्वालियर में आज पांच दिवसीय “तानसेन समारोह” का भव्य आगाज होगा। तानसेन समारोह का यह 101वां आयोजन है। ऐतिहासिक ग्वालियर दुर्ग से पूरी दुनिया को शून्य का परिचय करा रहे “चतुर्भुज मंदिर” की थीम पर तानसेन समाधि के समीप बने भव्य एवं आकर्षक मंच पर आज सांध्य बेला में लगभग 6 बजे समारोह का शुभारंभ होगा। इसी मंच पर बैठकर देश और दुनिया के ब्रम्हनाद के शीर्षस्थ साधक संगीत सम्राट तानसेन को स्वरांजलि अर्पित करेंगे।

जनसम्पर्क अधिकारी हितेंद्र सिंह भदौरिया ने रविवार को बताया कि तानसेन समारोह के शुभारंभ के साथ राष्ट्रीय तानसेन अलंकरण एवं राजा मानसिंह तोमर सम्मान समारोह का आयोजन भी होगा। प्रख्यात शास्त्रीय गायक पं. राजा काले मुम्बई को वर्ष 2024 एवं सुविख्यात संतूर वादक पं. तरुण भट्टाचार्य को वर्ष 2025 के तानसेन अलंकरण से विभूषित किया जायेगा। इसी तरह मण्डलेश्वर की साधना परमार्थिक संस्थान समिति को वर्ष 2024 एवं ग्वालियर की रागायन संगीत समिति को वर्ष 2025 का राजा मानसिंह तोमर सम्मान से अलंकृत किया जायेगा। शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश और दुनियाँ के सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव तानसेन समारोह में इस बार अलग ही रंग भरे गए हैं।

उन्होंने बताया कि 101वे तानसेन समारोह का आगाज सुबह 10 बजे हजीरा स्थित सुर सम्राट तानसेन की समाधि पर शहनाई वादन, ढोलीबुआ महाराज की हरिकथा व मीलाद वाचन एवं चादरपोशी के साथ पारंपरिक शुभारंभ होगा। सायंकाल 6 बजे समारोह की मुख्य सभाओं के लिए ग्वालियर किले पर स्थित ऐतिहासिक चतुर्भुज मंदिर की थीम पर बनाए गए भव्य मंच पर अतिथियों द्वारा औपचारिक शुभारंभ किया जाएगा। इसके बाद सांगीतिक सभाओं की शुरुआत होगी।

तानसेन संगीत समारोह में इस साल 10 संगीत सभाएं होंगी। पहली सभा 15 दिसंबर को सायंकाल तानसेन समाधि परिसर में बनाए गए भव्य मंच पर सजेगी। इसके बाद हर दिन यहीं पर प्रातः एवं सायंकालीन सभाएं होंगी। समारोह के तहत 18 दिसम्बर को प्रात:काल 10 बजे से दो संगीत सभाएं समानांतर रूप से सजेंगी। यह सभाएं तानसेन समाधि स्थल के मुख्य मंच व मुरैना जिले के सुप्रसिद्ध बटेश्वर मंदिर परिसर में संगीत सभा सजेगी। समारोह के आखिरी दिन यानि 19 दिसंबर को प्रातःकालीन सभा संगीत शिरोमणि तानसेन की जन्मस्थली बेहट में और इस साल के समारोह की अंतिम संगीत सभा सायंकाल गूजरी महल परिसर में सजेगी।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर