मराठी स्कूलों को लेकर; 18 दिसंबर को बीएमसी मुख्यालय पर मोर्चा
o Marathi schools; March 18 at BMC headquarters
मराठी स्कूलों को लेकर; 18 दिसंबर को बीएमसी मुख्यालय पर मोर्चा


मुंबई, 14 दिसंबर (हि.स.)। मराठी स्कूलों को बचाने के लिए मराठी अभ्यास केंद्र ने 18 दिसंबर को बीएमसी मुख्यालय पर मोर्चा निकालने का एलान किया है। इस मोर्चे में कई संगठनों के पदादिकारी और कार्यकर्ता शामिल होंगे।

दादर के राजर्षि शाहू ऑडिटोरियम में रविवार को एक बैठक का आयोजन किया गया था। इसमें शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों, शिक्षकों, अभिभावकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में मराठी स्कूलों की मौजूदा हालत पर चर्चा हुई और आगे के दिशा तय की गई। मराठी अभ्यास केंद्र के प्रेसिडेंट डॉ. दीपक पवार ने बताया कि सिर्फ प्रोटेस्ट करना काफी नहीं है, बल्कि एक ठोस एक्टिव प्रोग्राम की जरूरत है. जो लोग मराठी भाषा के बारे में सकारात्मक सोचते हैं, उन्हें सबसे पहले अपने बच्चों का एडमिशन मराठी स्कूलों में करवाना चाहिए। महाराष्ट्र में मराठी भाषा पर राजनीति करके बहुत राजनीतिक फायदा हुआ. लेकिन मराठी का इस्तेमाल करने के बजाय नुकसान हुआ। कई राजनेता अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ाते हैं। मराठी स्कूलों की इमारतें जर्जर हो गई हैं और टूटी-फूटी हालत में हैं, जबकि इंग्लिश स्कूल कुछ ही महीनों में चमकने लगते हैं। राज्य में मराठी स्कूलों के प्लॉट सस्ते रेट पर बिल्डरों को देने का धंधा चल रहा है ताकि वे उन जमीनों पर मॉल और टावर बना सकें। इसमें इंग्लिश और मराठी भाषा की तुलना करके मराठी को सेकेंडरी माना जाता है।

मराठी स्कूलों की गुडविल एंबेसडर एक्ट्रेस चिन्मयी सुमित ने इस बात पर ज़ोर दिया कि शिक्षा कोई सामाजिक अधिकार नहीं बल्कि एक व्यक्तिगत और बुनियादी अधिकार है। राज्य सरकार और मनपा प्रशासन मराठी स्कूलों की बिल्डिंग गिरा देते हैं। लेकिन उन स्कूलों का ऑडिट कौन करता है। रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की जाती। हम मराठी से जुड़े लगभग हर प्रोग्राम में जाते हैं, लेकिन मराठी भाषा को सेंटर में रखकर राजनीति करने वाले नेता हमारे प्रोग्राम में नहीं आते। हमने शिक्षा के मुद्दे पर सरकार से बार-बार बातचीत करने की कोशिश की है, लेकिन शिक्षा मंत्री ने हमारी बातचीत पर कभी गंभीरता से विचार नहीं किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / वी कुमार