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कानपुर, 14 दिसम्बर (हि.स.)। इस एमओयू के माध्यम से एनएसआई चीनी और उसके उप-उत्पाद आधारित उद्योग के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगा। ये प्रशिक्षण कार्यक्रम बीएसीएफ द्वारा नामित प्रतिभागियों—जिनमें फैक्ट्री स्टाफ, फील्ड स्टाफ और किसान शामिल होंगे, को प्रदान किए जाएंगे। प्रशिक्षण कार्यक्रम दक्षिण अफ्रीका में, भारत में अथवा हाइब्रिड मोड में आयोजित किए जा सकते हैं। यह जानकारी रविवार को एसएसआई के मीडिया प्रभारी अखिलेश पांडेय ने दी।
नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट (एनएसआई), कानपुर तथा ब्लैक एग्रीकल्चरल कमोडिटीज़ फेडरेशन (बीएसीएफ) दक्षिण अफ्रीका और सीलोन शुगर इंडस्ट्रीज़ एंड होल्डिंग्स (प्रा.) लिमिटेड, श्रीलंका के बीच दक्षिण अफ्रीका के ईस्ट लंदन इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में आयोजित “स्वीट सोरघम, शुगरकेन, बायो-एथेनॉल एवं बायो-फर्टिलाइज़र अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन एवं कार्यशाला 2025” के दौरान एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए।
बीएसीएफ की स्थापना उन विभिन्न कमोडिटी संगठनों द्वारा की गई है जो इस नए फेडरेशन का हिस्सा हैं, जिनमें शामिल हैं:
अफ्रीकन गेम रैंचर्स एसोसिएशन, अफ्रीकन पोल्ट्री प्रोड्यूसर्स, डिसिड्युअस फ्रूट डेवलपमेंट चैंबर, नेशनल इमर्जेंट रेड मीट प्रोड्यूसर्स ऑर्गनाइजेशन, साउथ अफ्रीकन फार्मर्स डेवलपमेंट एसोसिएशन, साउथ अफ्रीकन ग्रेन फार्मर्स एसोसिएशन और लाइवस्टॉक स्टॉक वेल्थ।
बीएसीएफ का मिशन संबद्ध कमोडिटी संघों तथा अन्य कृषि उत्पादक संगठनों को आपसी सहयोग और सहायता के लाभ अपने सदस्य किसानों और उत्पादकों तक पहुंचाने में मदद करना है, साथ ही असंगठित किसानों और उत्पादकों को संगठित कर उन्हें सशक्त संघों में बदलना तथा उनके पारस्परिक सहयोग, संरक्षण और उन्नति के लिए पक्षधरता करना है। इसके अतिरिक्त, यह उल्लेखनीय है कि बीएसीएफ दक्षिण अफ्रीका में 5000 टीसीडी क्षमता का एक चीनी संयंत्र स्थापित कर रहा है।
यह एमओयू दक्षिण अफ्रीका के किसानों तथा चीनी कारखानों और खेतों के कर्मचारियों के लिए रणनीतिक ज्ञान विकास के उद्देश्य से हस्ताक्षरित किया गया है।
प्रशिक्षण मॉड्यूल साइक्लोन द्वारा एनएसआई और बीएसीएफ के परामर्श से, पारस्परिक सुविधा और सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति के अधीन, तैयार किए जाएंगे। बीएसीएफ के अनुरोध पर, एनएसआई निम्नलिखित विषयों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगा।
गन्ना कृषि, जिसमें परिपक्वता का आंकलन कटाई तथा कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के उपाय शामिल हैं।
शुगर टेक्नोलॉजी, जिसमें चीनी उत्पादन प्रक्रिया शामिल है। शुगर इंजीनियरिंग, जिसमें चीनी संयंत्र का संचालन और रख-रखाव शामिल होगा। औद्योगिक इंस्ट्रूमेंटेशन एवं प्रोसेस ऑटोमेशन, उप-उत्पादों का उपयोग, गुणवत्ता नियंत्रण एवं पर्यावरण विज्ञान, को-जनरेशन एवं पावर इंजीनियरिंग आदि है।
हिन्दुस्थान समाचार / रोहित कश्यप