छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में नक्सलियाें के एमएमसी जोन और केंद्रीय समिति का ऊपरी ढांचा हुआ धराशायी
जगदलपुर, 14 दिसंबर (हि.स.)। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में नक्सलवाद अब अपने अंतिम दौर में पहुंचता दिख रहा है। एमएमसी जोन प्रभारी और केंद्रीय समिति सदस्याें के लगातार आत्मसमर्पण के बाद संगठन का ऊपरी ढांचा लगभग धराशायी हो चुका है। बस्तर आईजी सुंदरराज
बस्तर आईजी सुंदरराज पी.


जगदलपुर, 14 दिसंबर (हि.स.)। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में नक्सलवाद अब अपने अंतिम दौर में पहुंचता दिख रहा है। एमएमसी जोन प्रभारी और केंद्रीय समिति सदस्याें के लगातार आत्मसमर्पण के बाद संगठन का ऊपरी ढांचा लगभग धराशायी हो चुका है। बस्तर आईजी सुंदरराज पी. ने इसकी पुष्टि की है।

बस्तर आईजी ने कहा कि वर्तमान में दक्षिण बस्तर के सीमित हिस्सों में सिर्फ बारसे देवा और पापा राव जैसे कमांडर ही सक्रिय बचे हैं, जो अस्तित्व बचाने के लिए छत्तीसगढ़–तेलंगाना सीमा के जंगलों में छिपे हुए हैं। इनके अलावा डिविजनल कमेटी स्तर के नक्सली कैडराें में सोमडू, सोढ़ी केसा, दिलीप बेज्जा व राहुल पूनेम अभी भी छिपे हुए हैं, जिन्हें लक्षित कर अब सुरक्षाबलों ने अंतिम प्रहार की तैयारी तेज कर दी है। मार्च 2026 तक बस्तर को पूरी तरह नक्सल मुक्त करने के लक्ष्य के तहत बड़े पैमाने पर समन्वित सर्च ऑपरेशन की रूपरेखा तैयार की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि नक्सलियाें के एमएमसी (महाराष्‍ट्र, मध्‍यप्रदेश, छत्‍तीसगढ़)जोन के दर्रेकसा एरिया कमेटी कमांडर सहित 20 लाख के इनामी तीन नक्सलियों ने रविवार काे महाराष्‍ट्र में आत्मसमर्पण कर दिया है। इससे पहले 28 नवंबर को नक्सलियों की एमएमएसी जोन के प्रवक्‍ता व जेआरबी डिवीजन के इंचार्ज विकास नागपुरे उर्फ रमेश सय्याना भास्कर समेत दस अन्य नक्सलियों ने भी गोंदिया पुलिस के सामने समर्पण किया था। वहीं सात दिसंबर को 11 नक्सलियों ने बालाघाट पुलिस के सामने हथियार डाले थे। सबसे बड़ी कामयाबी छत्‍तीसगढ़ की सुरक्षा एजेंसियों को मिली जब आठ दिसंबर को नक्सलियों के शीर्ष कैडर एक करोड़ पांच लाख के इनामी रामधेर और उसके 11 साथियों के साथ अविभाजित राजनांदगांव जिले में समर्पण किया। इसके साथ ही एमएमसी जोन के मुख्‍यधारा में लौटने का आखिरी दौर शुरु हुआ। अब इस जोन में सिर्फ एक नक्सली रंजीत ही शेष है जिसके जल्‍द ही समर्पण किए जाने के दावे किए जा रहे हैं।

बीते 11 महीनों में एक दर्जन से अधिक शीर्ष नक्सली कैडर मुठभेड़ों में मारे जा चुके हैं, जिससे संगठन की रीढ़ पूरी तरह टूट गई। भारी दबाव में शीर्ष नेतृत्व का बड़े पैमाने पर समर्पण भी जारी है। बसवराजू के बाद संगठन का प्रमुख वैचारिक नेता, केंद्रीय रीजनल ब्यूरो व पोलित ब्यूरो सदस्य मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति ने महाराष्ट्र में आत्मसमर्पण कर दिया है । इसके बाद केंद्रीय समिति सदस्य रुपेश ने छत्तीसगढ़ में हथियार डाल दिए। तेलंगाना राज्य प्रभारी पुल्लरी प्रसाद राव, सुजाता, ककराला सुनीता, अनंत सहित कई वरिष्ठ नक्सली कैडर संगठन छोड़ चुके हैं और यह सिलसिला लगातार जारी है।

2025 में मारे गए शीर्ष नक्सली कैडराें में ये हैं शामिल -

19 जनवरी : जयराम उर्फ चलपति (गरियाबंद), 31 मार्च : गुमडावेली रेणुका(बीजापुर), 21 अप्रैल : विवेक मांझी (झारखंड), 21 मई : बसवा राजू उर्फ नंबाला केशवा राव (अबूझमाड़), 5 जून : सुधाकर उर्फ थेंटू लक्ष्मी (बीजापुर), 18 जून : उदय उर्फ गजराला रवि (आंध्रप्रदेश), 11 सितंबर : मनोज उर्फ मोडेम बालकृष्ण (गरियाबंद), 14 सितंबर : सहदेव सोरेन (झारखंड), 22 सितंबर : गुडसा उसेंडी (नारायणपुर, अबूझमाड़), 22 सितंबर : कोसा उर्फ कादरी सत्यनारायण रेड्डी (नारायणपुर, अबूझमाड़), 18 नवंबर : माड़वी हिड़मा (मारेडुमिली, आंध्रप्रदेश), 19 नवंबर : जोगा राव उर्फ टेक शंकर (मारेडुमिली, आंध्रप्रदेश) मारे जा चुके हैं।

बस्तर आईजी सुंदरराज पी. ने कहा कि नक्सलियों का शीर्ष नेतृत्व टूट चुका है। उन्होंने बारसे देवा, पापा राव सहित सभी कैडरों से अंतिम अपील करते कहा कि अब भी समय है, वे हिंसा छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौट आएं । देरी करने का कोई अर्थ नहीं है, अब किसी को बख्शा नहीं जाएगा। जो नहीं लौटेंगे, उनका अंजाम बसवराजू और हिड़मा जैसा होगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे