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कोकराझार (असम), 14 दिसम्बर (हि.स.)। गोसाईगांव स्थित मारवाड़ी विवाह भवन में रविवार को पूर्वोत्तर प्रदेशीय मारवाड़ी सम्मेलन (पूप्रमास) की तीसरी प्रांतीय कार्यकारिणी बैठक भव्य रूप से आयोजित की गई। बैठक का आयोजन मारवाड़ी सम्मेलन गोसाईगांव शाखा के आतिथ्य में हुआ, जिसमें समाज के विकास, सामाजिक एकता और सांस्कृतिक समरसता को आगे बढ़ाने पर विशेष चर्चा की गई।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई। इसके पश्चात लोकप्रिय कलाकार एवं हृदयस्पर्शी गायक स्वर्गीय जुबिन गर्ग के चित्र पर दीप प्रज्वलित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। आयोजित सभा में समाज के वरिष्ठ पुरुषों एवं महिलाओं को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर बोडो एवं असमिया लोकनृत्य प्रस्तुत कर सांस्कृतिक विविधता और सौहार्द का संदेश दिया गया।
सभा के अंत में पत्रकारों से बात करते हुए सम्मेलन के केंद्रीय अध्यक्ष कैलाश काबरा ने कहा कि लगभग 200–300 वर्ष पूर्व असम आए मारवाड़ी समाज के लोग स्वयं को असमिया मानते हैं और भविष्य में भी असमिया बनकर ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि असम के प्रति प्रेम और निरंतर सेवा के बावजूद बाहरी कहे जाने का आरोप समाज के लिए पीड़ादायक है। काबरा ने शिक्षा संस्थानों की स्थापना, रक्तदान, नेत्रदान सहित विभिन्न सामाजिक कार्यों में मारवाड़ी समाज के योगदान को भी रेखांकित किया।
स्वागत समिति के सदस्य रिकेश अग्रवाल ने पत्रकारों से कहा कि मारवाड़ी समाज सदैव शांति, अनुशासन और कानून के मार्ग पर चलता है। समाज का उद्देश्य केवल सामाजिक हित और विकास है। उन्होंने कहा कि मारवाड़ी समाज जहां भी रहता है, वहां की भाषा, संस्कृति और पहचान को अपनाकर आगे बढ़ता है।
इस सम्मेलन में असम के विभिन्न जिलों से आए मारवाड़ी समाज के पदाधिकारियों एवं सदस्यों की सक्रिय उपस्थिति रही, जिससे बैठक सफल और सार्थक सिद्ध हुई।
हिन्दुस्थान समाचार / किशोर मिश्रा