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श्रीनगर, 14 दिसंबर(हि.स.)। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को श्रीनगर के लोक भवन में कश्मीर विश्वविद्यालय (केयू) की विश्वविद्यालय परिषद की 84वीं बैठक की अध्यक्षता की।
उपराज्यपाल जो विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) के अनुरूप समकालीन, अंतःविषय और कौशल-उन्मुख शैक्षणिक कार्यक्रमों को शुरू करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विश्वविद्यालय को नवाचार, रोजगार योग्यता और उद्यमशीलता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शैक्षणिक पहल स्थानीय और क्षेत्रीय विकास संबंधी जरूरतों का जवाब दें।
वीसी विश्वविद्यालय को उभरती शैक्षणिक और उद्योग आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एकीकृत और व्यावसायिक कार्यक्रमों को मजबूत करने की भी सलाह दी।
उपराज्यपाल की अध्यक्षता में हुई विश्वविद्यालय परिषद की बैठक में कई महत्वपूर्ण शैक्षणिक और प्रशासनिक एजेंडा मदों को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई। इनमें विदेशी राष्ट्रीय (अंतर्राष्ट्रीय) छात्रों के प्रवेश के लिए एक संशोधित नीति तंत्र को अपनाना शामिल था पृथ्वी विज्ञान विभाग के नामकरण को भूविज्ञान विभाग में बदलना और एप्लाइड जियोलॉजी, पर्यटन और यात्रा प्रबंधन, डेटा साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और गृह विज्ञान में पांच वर्षीय एकीकृत मास्टर कार्यक्रम की शुरूआत।
काउंसिल ने सेंटर फॉर डिस्टेंस एंड ऑनलाइन एजुकेशन (सीडीओई) के माध्यम से पेश किए जाने वाले एमए इतिहास के लिए प्रोग्राम प्रोजेक्ट रिपोर्ट (पीपीआर) पर भी विचार किया और मंजूरी दे दी।
पांच वर्षीय एकीकृत कार्यक्रमों में नामांकित छात्रों के लिए मेरिट और मेरिट-कम-मीन्स छात्रवृत्ति योजनाओं के विस्तार को मंजूरी दी गई। इसके अलावा, परिषद ने डेटा साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में एफवाईएम्पी सहित पांच-वर्षीय एकीकृत कार्यक्रमों को नियंत्रित करने वाले विनियमों को मंजूरी दे दी और पीएचडी को नियंत्रित करने वाले कानूनों को अपनाने के संबंध में डीन समिति की सिफारिशों पर चर्चा की।
विश्वविद्यालय परिषद ने एनईपी-2020 के तहत डिग्री के नामकरण के संबंध में स्नातक कार्यक्रमों (यूजीपी-2022) को नियंत्रित करने वाले कानूनों में संशोधन और प्रमाणपत्रों, डिप्लोमा और डिग्री के लिए मानकीकृत प्रारूपों को अपनाने से संबंधित प्रस्तावों को भी मंजूरी दे दी। इसके अतिरिक्त, परिषद ने संगीत और ललित कला संस्थान, केयू और जम्मू और कश्मीर कला, संस्कृति और भाषा अकादमी, श्रीनगर के बीच एक संयुक्त शैक्षणिक कार्यक्रम के रूप में सुलेख में दो साल का डिप्लोमा शुरू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।परिषद ने कई शैक्षणिक, नियामक और संस्थागत मामलों पर विस्तृत विचार-विमर्श किया जिसका उद्देश्य शासन संरचनाओं को मजबूत करना और विश्वविद्यालय में शिक्षण, सीखने और अनुसंधान की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाना था।
इससे पहले कश्मीर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर नीलोफर खान ने एजेंडा आइटम को विचार और अनुसमर्थन के लिए परिषद के समक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने परिषद को विश्वविद्यालय की शैक्षणिक, अनुसंधान और संस्थागत उपलब्धियों के बारे में भी जानकारी दी।
इस अवसर पर कश्मीर विश्वविद्यालय ने अनुसंधान और शिक्षा के लिए अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।बैठक में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भाग लिया जम्मू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. उमेश राय; क्लस्टर यूनिवर्सिटी श्रीनगर के कुलपति प्रो. मोहम्मद मोबिन जम्मू क्लस्टर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.एस. चन्द्रशेखर अतिरिक्त मुख्य सचिव, उच्च शिक्षा विभाग, शांतमनु; प्रमुख सचिव, वित्त विभाग, संतोष डी. वैद्य; उपराज्यपाल के प्रधान सचिव, डॉ. मंदीप के. भंडारी; प्रशासनिक सचिव, योजना विकास एवं निगरानी विभाग, डॉ. आशीष चंदर; कुलपति, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश, प्रो. कविता शाह; पूर्व निदेशक और प्रोफेसर (केमिकल इंजीनियरिंग), राजीव गांधी पेट्रोलियम प्रौद्योगिकी संस्थान, अमेठी, प्रो. ए.एस.के. सिन्हा; केयू के रजिस्ट्रार और यूनिवर्सिटी काउंसिल के सचिव प्रो. नसीर इकबाल डीन स्कूल ऑफ बिजनेस स्टडीज केयू, प्रो. मुश्ताक अहमद दर्जी, परिषद के अन्य सदस्य और वरिष्ठ अधिकारी व्यक्तिगत रूप से और वर्चुअल मोड के माध्यम से बैठक में शामिल हुए।
हिन्दुस्थान समाचार / बलवान सिंह