काव्यांगन वार्षिकोत्सव में एक दर्जन से अधिक ग्रंथों का हुआ विमोचन
-साहित्यिक गतिविधियों के साथ काव्यांगन का दो दिवसीय वार्षिकोत्सव सम्पन्न प्रयागराज, 14 दिसम्बर (हि.स.)। काव्यांगन साहित्यिक मंच के दूसरे दिन रविवार को ग्रंथों का विमोचन और साहित्यिक विमर्श का कार्यक्रम राज्य शिक्षक प्रशिक्षण अतिथि गृह में सम्पन्न
विमोचन करते अतिथिगण


-साहित्यिक गतिविधियों के साथ काव्यांगन का दो दिवसीय वार्षिकोत्सव सम्पन्न

प्रयागराज, 14 दिसम्बर (हि.स.)। काव्यांगन साहित्यिक मंच के दूसरे दिन रविवार को ग्रंथों का विमोचन और साहित्यिक विमर्श का कार्यक्रम राज्य शिक्षक प्रशिक्षण अतिथि गृह में सम्पन्न हुआ।

प्रथम सत्र में काव्यांगन के संस्थापक स्वर्गीय प्रोफेसर रामकृष्ण शर्मा स्मृति सम्मान समारोह का आयोजन हुआ। यह सम्मान लोकेश कुमार शुक्ला पूर्व निदेशक आकाशवाणी प्रयागराज को दिया गया। साथ ही प्रोफेसर विनोद कुमार सिंह सदस्य, शिक्षा सेवा चयन आयोग एवं विमल कुमार विश्वकर्मा सदस्य शिक्षा सेवा चयन आयोग को भी सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि लोकेश कुमार शुक्ला ने कहा कि साहित्यिक गतिविधियां मानव जीवन को सात्विकता की ओर ले जाती है और उनकी सांस्कृतिक विरासत का पोषण करती है। उन्होंने अपनी एक रचना पढ़ते हुए कहा कि ‘‘मैंने भी जीवन देखा है, आज उनकी पलकों में, मैंने एक आधार देखा है।’’

प्रोफेसर विनोद कुमार सिंह ने कहा कि प्रयागराज की धरती साहित्य दृष्टि से पहले से ही उर्वरक है और काव्यांगन के इस कार्यक्रम ने इस पावन धरती को और महत्वपूर्ण बना दिया है। विमल विश्वकर्मा ने कहा कि साहित्य समाज परिवर्तन का कारक रहा है और वह सदैव सामाजिक गतिविधियों का दर्पण भी रहा है।

द्वितीय सत्र के मुख्य अतिथि प्रोफेसर राज नारायण शुक्ला सदस्य शिक्षा सेवा चयन आयोग ने कहा कि साहित्य ने सदैव देश की दिशा का परिवर्तन किया है। आदिकाल में जब राजा युद्ध हार रहे होते थे तो वीर रस के कवियों को बुलाया जाता था और उनसे सैनिकों के बीच में कविताएं पढ़ाई जाती थी। जिससे प्रेरित होकर सैनिक युद्ध में विजय प्राप्त करते थे। उन्होंने कहा कि आज देश बदल रहा है और सरकार ही नहीं समझ भी इस परिवर्तन में सहभागी हो गया है।

कार्यक्रम के समापन सत्र में काव्यांगन के ग्रंथ ‘अब चले आओ’ का लोकार्पण उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष राम सुचित ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर योगेंद्र प्रताप सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने की। राम सुचित ने कहा कि साहित्य व्यक्ति की ही नहीं बल्कि समाज की पीड़ा को भी दूर करता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के संकल्पों को पूरा करने में कवियों ने बहुत बड़ा योगदान दिया है और उनकी जनाकांक्षाओं को ही प्रकट करने में कवियों की प्रमुख भूमिका रही है। उन्होंने 70 से अधिक साहित्यकारों को सम्मानित किया। दो दिन तक चले साहित्यिक विमर्श के पश्चात साहित्य की और खासतौर से हिन्दी की बढ़ती लोकप्रियता और उपयोगिता को सभी साहित्यकारों ने रेखांकित किया।

कार्यक्रम का संयोजन और संचालन रमापति त्रिवेदी प्रोफेसर राधाकृष्ण दीक्षित और विवेक गोयल ने किया। कार्यक्रम के अंत में सभी को आभार व्यक्त किया गया और वंदे मातरम के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र