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जम्मू, 14 दिसंबर (हि.स.)। भारतीय सेना की सबसे पुरानी शाखाओं में से एक रिमाउंट और पशु चिकित्सा कोर ने आज अपना 247वां कोर दिवस मनाया जो लगभग 250 वर्षों की विशिष्ट सेवा का स्मरणोत्सव है। 1779 में बंगाल में स्थापित स्टड विभाग से उत्पन्न कोर ने 1960 में औपचारिक रूप से रिमाउंट और पशु चिकित्सा कोर बनने से पहले कई पुनर्गठनों से गुज़रा।
1989 में राष्ट्रपति के ध्वज से सम्मानित आरवीसी अपने व्यावसायिकता और प्रतिबद्धता के आदर्शों को बनाए रखता है। पशु सेवा अस्माकम धर्म की सेवा हमारा कर्तव्य है के आदर्श वाक्य से प्रेरित कोर सैन्य पशुओं की देखभाल और प्रबंधन करके सेना के अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसने दोनों विश्व युद्धों और स्वतंत्रता के बाद के सभी संघर्षों में वीरतापूर्वक सेवा की है और राष्ट्रीय रक्षा तैयारियों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
आरवीसी सेना भर में पशुपालन इकाइयों को घोड़े खच्चर और सेना के कुत्ते उपलब्ध कराने उनका पालन-पोषण करने प्रशिक्षण देने और उनकी आपूर्ति करने के लिए जिम्मेदार है। यह कोर जैव प्रौद्योगिकी विभाग राष्ट्रीय संक्रामक रोग संस्थान और राष्ट्रीय अनुसंधान जैसे राष्ट्रीय संस्थानों के साथ भी मिलकर काम करता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / SONIA LALOTRA