सूरत में ‘हीराबा खमकार योजना’ के तहत 1100 जरूरतमंद बेटियों को मिला शिक्षा सहयोग
21 हजार बेटियों तक सहायता का लक्ष्य सूरत, 14 दिसंबर (हि.स.)। गुजरात के सूरत में बेटियों की शिक्षा और सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘हीराबा खमकार योजना’ के अंतर्गत चेक वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें जहां 1100 जरूरतमंद बेटियों को
हीराबा खमकार योजना


हीराबा खमकार योजना


21 हजार बेटियों तक सहायता का लक्ष्य

सूरत, 14 दिसंबर (हि.स.)। गुजरात के सूरत में बेटियों की शिक्षा और सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘हीराबा खमकार योजना’ के अंतर्गत चेक वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें जहां 1100 जरूरतमंद बेटियों को शिक्षा सहयोग दिया गया वहीं इसका लक्ष्य 21 हजार बेटियों तक सहायता पहुंचाना निर्धारित किया गया है।

यह कार्यक्रम रविवार को वीर नर्मद दक्षिण गुजरात यूनिवर्सिटी के कन्वेंशन हॉल में संपन्न हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में सम्मानित गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति रही। उद्योगपति पीयूष देसाई द्वारा शुरू की गई यह योजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की माता स्वर्गीय हीराबा के नाम से प्रारंभ की गई है। इस योजना को शुरू करने का उद्देश्य जरूरतमंद और गरीब परिवारों की बेटियों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए आर्थिक संबल प्रदान करना है। आज यह योजना सूरत की गरीब बच्चियों के लिए काफी मददगार और आशा की किरण साबित हो रही है।

इस योजना के तहत धोरन 5 से 12 तक की छात्राओं को 7,500 रूपये की सहायता राशि दी जाती है। आज आयोजित कार्यक्रम में चौथे चरण के अंतर्गत 1100 बेटियों को सहायता के चेक वितरित किए गए। आयोजकों के अनुसार इस योजना के माध्यम से कुल 21,000 बेटियों को सहायता देने का लक्ष्य तय किया गया है। आने वाले दिनों में पहले सूरत शहर और बाद में पूरे गुजरात की बेटियों को इस योजना का लाभ देने की योजना है।

इस अवसर पर यूथ फॉर गुजरात के जिग्नेश पाटील, विधायक मनुभाई पटेल, पूर्व महापौर, सांस्कृतिक समिति के चेयरमैन सहित सामाजिक, राजनीतिक एवं शैक्षणिक क्षेत्र से जुड़े अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिवस के अवसर से इस योजना के लिए आवेदन फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। यह योजना बेटियों की शिक्षा, आत्मनिर्भरता और उज्ज्वल भविष्य की दिशा में एक सराहनीय पहल मानी जा रही है।

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हिन्दुस्थान समाचार / Abhishek Barad