काशी-तमिल संगमम : सीआईसीटी स्टॉल पर तमिल शास्त्रीय ग्रंथों के हिन्दी अनुवाद पुस्तकें उपलब्ध
—तमिल करकलाम से सरल हो रहा भाषा अध्ययन,स्टॉल पर इंटरैक्टिव लर्निंग सत्र भी वाराणसी, 14 दिसंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में चल रहे काशी-तमिल संगमम के चौथे संस्करण में नमोघाट पर आयोजित सांस्कृतिक प्रदर्शनी में तमिल शास्त्रीय ग्रंथों के हिन्द
काशी तमिल संगमम में सीआईसीटी स्टॉल


—तमिल करकलाम से सरल हो रहा भाषा अध्ययन,स्टॉल पर इंटरैक्टिव लर्निंग सत्र भी

वाराणसी, 14 दिसंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में चल रहे काशी-तमिल संगमम के चौथे संस्करण में नमोघाट पर आयोजित सांस्कृतिक प्रदर्शनी में तमिल शास्त्रीय ग्रंथों के हिन्दी अनुवाद वाली पुस्तकें भी लोगों में आकर्षण बनी हुई है। प्रदर्शनी में केंद्रीय शास्त्रीय भाषा संस्थान (सीआईसीटी) की स्टॉल पर ये पुस्तकें उपलब्ध है।

तमिल करकलाम (तमिल सीखें) की पहल के तहत तमिल शास्त्रीय भाषा को सरल, सुलभ और बहुभाषी स्वरूप में प्रस्तुत करने के लिए ही केंद्रीय शास्त्रीय भाषा संस्थान (सीआईसीटी) ने तमिल के शास्त्रीय ग्रंथों का हिन्दी अनुवाद कर पुस्तकें इस स्टॉल पर उपलब्ध कराई गई हैं। इसके साथ ही यहां तमिल, अंग्रेज़ी, थाई सहित कई अन्य भाषाओं में भी पुस्तकें प्रदर्शित की गई हैं, जिससे काशी और तमिलनाडु से आए प्रतिनिधि तमिल साहित्य को सहजता से समझ सकें। स्टॉल पर विशेष रूप से तिरुक्कुरल ग्रंथ उपलब्ध है, जो लगभग 300 वर्ष पुराना माना जाता है और तमिल साहित्य की अमूल्य धरोहर है।

संस्थान के कर्मचारियों ने बताया कि ग्रंथ तीन भागों में विभाजित है। प्रथम भाग में धर्म, द्वितीय भाग में अर्थ और तृतीय भाग में प्रेम के दर्शन प्रस्तुत किए गए हैं। जैसे हिन्दी में अर्थशास्त्र का महत्व है, उसी प्रकार तिरुक्कुरल तमिल समाज का नैतिक और दार्शनिक आधार है। स्टॉल पर इंटरैक्टिव लर्निंग सत्र भी आयोजित किए जा रहे हैं, जहां शिक्षक पांच प्रमुख पुस्तकों के माध्यम से सरल व्याकरण, तमिल शब्दकोश, संवाद अभ्यास और तमिल अक्षर लेखन सिखा रहे हैं। चार्ट और दृश्य सामग्री के प्रयोग से बच्चों एवं नवशिक्षार्थियों के लिए सीखना और अधिक सहज हो गया है। इसके अतिरिक्त पीएम ई-विद्या पहल के अंतर्गत ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से भी तमिल भाषा का शिक्षण कराया जा रहा है। स्टॉल पर तमिल की प्रथम व्याकरणिक पुस्तक तोळ्काप्पियम , संगम साहित्य, पोस्ट-संगम साहित्य, कला साहित्य (18 भागों में) तथा तमिल शोध से संबंधित अनेक पुस्तकें भी उपलब्ध हैं।

यह स्टॉल का संचालन सीआईसीटी के निदेशक डॉ. आर. चन्द्रशेखर, रजिस्ट्रार डॉ. आर. भुवनेश्वरी के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। स्टॉल टीम में डॉ. देवी, डॉ. कार्तिक एवं डॉ. पियरस्वामी लाेगाें से संवाद कर रहे हैं। इस स्टॉल पर तमिल भाषा सीख रही वाराणसी की साजिया ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि सीआईसीटी का यह प्रयास अत्यंत उपयोगी और प्रेरणादायक है। उन्होंने बताया, पहले मुझे लगता था कि तमिल भाषा सीखना कठिन होगा, लेकिन यहां ‘तमिल करकलाम’ के माध्यम से बहुत ही सरल और रोचक तरीके से पढ़ाया जा रहा है। हिन्दी में अनुवादित पुस्तकों, चार्ट और संवाद अभ्यास से भाषा समझना आसान हो गया है।

साजिया ने बताया कि इंटरैक्टिव क्लास और शिक्षकों का मार्गदर्शन उन्हें तमिल अक्षर, शब्द और सामान्य बातचीत सीखने में आत्मविश्वास दे रहा है। इस तरह के मंच स्थानीय युवाओं को नई भाषाएं सीखने और अन्य संस्कृतियों को समझने का बेहतरीन अवसर प्रदान करते हैं।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी