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नई दिल्ली, 13 दिसंबर (हि.स.)।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्द्र सिंह ने शनिवार को एक लाख करोड़ रुपये के अनुसंधान, विकास और नवाचार (आरडीआई) फंड को ऐतिहासिक उत्प्रेरक बताया। इसका उद्देश्य भारत के निजी क्षेत्र को सीमांत (फ्रंटियर) प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान एवं विकास, बौद्धिक संपदा सृजन और व्यावसायीकरण को सशक्त बनाना है। शनिवार को
नई दिल्ली में आयोजित आरडीआई फंड आउटरीच कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि यह पहल विश्व में अपनी तरह का पहला मॉडल है, जिसमें सरकार दीर्घकालिक, बिना किसी गारंटी के, कम ब्याज दर वाले ऋण और इक्विटी-आधारित साधनों के माध्यम से निजी क्षेत्र के नवाचार को वित्तीय रूप से सक्षम बना रही है।
उन्होंने कहा कि यह कोई दान या उदारता नहीं है बल्कि निजी क्षेत्र को सशक्त करने और भारत की सामूहिक उन्नति को डीप-टेक में तेज करने के लिए एक उत्प्रेरक है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने रेखांकित किया कि विश्वभर में नासा जैसे प्रमुख नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत सरकारी समर्थन पर आधारित रहे हैं। भारत भी अब इसी प्रकार की रणनीति अपना रहा है, ताकि निजी उद्योग को उच्च-जोखिम, महत्वाकांक्षी अनुसंधान के लिए सक्षम बनाया जा सके और वे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सकें।
समापन में डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि यदि हम साहस, दृढ़ विश्वास और भरोसे के साथ आगे बढ़ें, तो यह उद्योग, समाज और राष्ट्र—तीनों के लिए एक जीत-जीत मॉडल बनेगा,” । उन्होंने हितधारकों से आरडीआई फंड का लाभ उठाने का आग्रह किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी