कुशेश्वरस्थान की नई राजनीतिक दिशा: युवा नेतृत्व, जमीनी चुनौतियां और अतिरेक कुमार से जुड़ी अपेक्षाएं
दरभंगा, 13 दिसंबर (हि.स.)। बिहार में दरभंगा जिले के कुशेश्वरस्थान (अनुसूचित जाति) विधानसभा क्षेत्र से जनता दल (यूनाइटेड) के विधायक बने अतिरेक कुमार को इलाके में एक युवा और ऊर्जावान चेहरे के रूप में देखा जा रहा है। हालिया चुनाव परिणामों के बाद क्षे
कुशेश्वरस्थान की नई राजनीतिक दिशा: युवा नेतृत्व, जमीनी चुनौतियां और अतिरेक कुमार से जुड़ी अपेक्षाएं


दरभंगा, 13 दिसंबर (हि.स.)। बिहार में दरभंगा जिले के कुशेश्वरस्थान (अनुसूचित जाति) विधानसभा क्षेत्र से जनता दल (यूनाइटेड) के विधायक बने अतिरेक कुमार को इलाके में एक युवा और ऊर्जावान चेहरे के रूप में देखा जा रहा है। हालिया चुनाव परिणामों के बाद क्षेत्र में जो राजनीतिक हलचल दिखाई देती है, वह केवल सत्ता परिवर्तन की नहीं, बल्कि उन उम्मीदों की भी है, जो लंबे समय से उपेक्षित इस इलाके में नई शुरुआत की तलाश कर रही हैं। चुनाव के बाद विभिन्न अवसरों पर हुई बातचीत और संवाद में विधायक का ज़ोर इस बात पर रहा कि कुशेश्वरस्थान को अब प्रतीकात्मक राजनीति से आगे बढ़कर जमीनी विकास की राह पर ले जाना होगा।

अतिरेक कुमार का चुनावी सफर आसान नहीं रहा। सीमित संसाधनों, कड़े मुकाबले और जटिल स्थानीय समीकरणों के बीच उन्होंने निरंतर जनसंपर्क और संवाद को अपनी सबसे बड़ी ताकत बनाया। गांव-गांव घूमकर लोगों की समस्याएं सुनना, छोटी बैठकों में स्थानीय मुद्दों को समझना और खुद को एक सुलभ प्रतिनिधि के रूप में प्रस्तुत करना—यही उनकी चुनावी संघर्ष गाथा का आधार बना। इसी कारण युवाओं के साथ-साथ बड़ी संख्या में बुजुर्ग मतदाताओं ने भी उन पर भरोसा जताया।

घोषणाओं से आगे, चुनौतियों की पहचान

संवाद के दौरान अतिरेक कुमार यह स्वीकार करते नजर आए कि कुशेश्वरस्थान की सबसे बड़ी समस्या विकास की कमी नहीं, बल्कि स्थायी समाधान का अभाव है। यह इलाका हर वर्ष बाढ़ और जलजमाव की मार झेलता है, जिससे खेती, आवागमन और जनजीवन बुरी तरह प्रभावित होता है। सड़कें अक्सर पहली बारिश में ही टूट जाती हैं और कई गांव महीनों तक संपर्क से कटे रहते हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति भी एक बड़ी चुनौती है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भवन तो हैं, लेकिन चिकित्सक, दवाइयों और आपात सुविधाओं की कमी लोगों को आज भी निजी या दूरस्थ अस्पतालों पर निर्भर रहने को मजबूर करती है। बातचीत में उन्होंने माना कि स्वास्थ्य और शिक्षा ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें दिखावटी नहीं, बल्कि निरंतर और ईमानदार हस्तक्षेप की जरूरत है।

बेरोजगारी और पलायन की पीड़ा

कुशेश्वरस्थान की एक और गंभीर समस्या युवाओं का पलायन है। स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर न होने के कारण बड़ी संख्या में युवा दिल्ली, पंजाब और अन्य राज्यों की ओर पलायन करते हैं। अतिरेक कुमार के अनुसार, जब तक क्षेत्र में स्थानीय रोजगार, स्वरोजगार और कौशल विकास को बढ़ावा नहीं मिलेगा, तब तक सामाजिक ढांचा कमजोर ही रहेगा। युवाओं से जुड़े इसी मुद्दे पर उनकी लोकप्रियता का आधार भी बनता दिखाई देता है। अतिरेक कुमार की लोकप्रियता का एक बड़ा कारण उनका युवा होना और लोगों के बीच सहज उपस्थिति भी है। चुनावी दौर में कॉलेज, कोचिंग संस्थानों और ग्रामीण युवा समूहों के साथ उनका संवाद लगातार चर्चा में रहा। बातचीत के दौरान उन्होंने यह संकेत भी दिया कि वे युवाओं को केवल वोटर नहीं, बल्कि विकास की प्रक्रिया का सहभागी मानते हैं। उनके समर्थकों का मानना है कि उनमें सीखने की ललक और काम करने का जज़्बा है। यही वजह है कि चुनाव जीतने के बाद भी क्षेत्र में उनकी सक्रियता को लोग सकारात्मक संकेत के रूप में देख रहे हैं।

उम्मीद, चुनौती और निगरानी

कुशेश्वरस्थान आज जिस मोड़ पर खड़ा है, वहां उम्मीद के साथ-साथ सतर्क निगरानी भी उतनी ही जरूरी है। अतिरेक कुमार के सामने चुनौती केवल विकास योजनाएँ लाने की नहीं, बल्कि बाढ़, बेरोजगारी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी जमीनी समस्याओं से जूझते हुए भरोसे को कायम रखने की है। अब देखना यह होगा कि युवा ऊर्जा, लोकप्रियता और संवाद की यह राजनीति कितनी जल्दी ठोस परिणामों में बदलती है। क्योंकि अंततः राजनीति में वही नेता याद रखा जाता है, जो कठिन परिस्थितियों में भी उम्मीद को काम में बदल दे।

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हिन्दुस्थान समाचार / Krishna Mohan Mishra