काशी तमिल संगमम के चौथे संस्करण में 'निज़ामाबाद ब्लैक पॉटरी' का जलवा
—​तमिल मेहमानों के साथ स्थानीय लोग भी कर रहे खरीदारी,कटोरे, कप, मग,बोतलें उपलब्ध वाराणसी,13 दिसबंर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में चल रहे काशी तमिल संगमम के चौथे संस्करण में गंगा किनारे नमोघाट पर आयोजित सांस्कृतिक प्रदर्शनी में परंपरागत भारती
स्टाल पर 'निज़ामाबाद ब्लैक पॉटरी'


—​तमिल मेहमानों के साथ स्थानीय लोग भी कर रहे खरीदारी,कटोरे, कप, मग,बोतलें उपलब्ध

वाराणसी,13 दिसबंर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में चल रहे काशी तमिल संगमम के चौथे संस्करण में गंगा किनारे नमोघाट पर आयोजित सांस्कृतिक प्रदर्शनी में परंपरागत भारतीय कला और विरासत का अनूठा संगम दिख रहा है। प्रदर्शनी में ‘निज़ामाबाद ब्लैक पॉटरी (टेरेकोटा क्राफ्ट)’ का जलवा बरकरार है। प्रदर्शनी के स्टॉल संख्या 15 पर खरीदारी के लिए तमिल मेहमानों के साथ स्थानीय लोग भी पहुंच रहे है।

स्टाल संचालक आजमगढ़ निवासी दिनेश प्रजापति बताते है कि अपने परिवार की इस विरासत को देश-दुनिया के सामने प्रस्तुत कर गौरवान्वित है। निज़ामाबाद की पॉटरी की सबसे खास बात यह है कि इसकी प्राकृतिक काली चमक और फिनिशिंग किसी भी प्रकार के रंग या डिज़ाइन के बिना तैयार होती है। हर उत्पाद मिट्टी से बना होता है और उसे लगभग 1200 डिग्री तापमान पर पकाया जाता है। इसी प्रक्रिया से इसका प्राकृतिक काला रंग उभरता है। एक ब्लैक पॉटरी उत्पाद को तैयार करने में एक सप्ताह तक का समय लग जाता है—और यही मेहनत इसे खास बनाती है। उन्होंने बताया कि स्टॉल पर कई तरह के उत्पाद कटोरे, कप, मग,बोतलें और फूलदान,कैंडल स्टैंड,गुल्लक अगरबत्ती स्टैंड ,ब्लैक पॉटरी गिफ्ट आइटम्स उपलब्ध है। ये सभी उत्पाद पूरी तरह प्राकृतिक, बिना किसी कैमिकल के बनाए गए हैं, जो इन्हें रोजमर्रा के उपयोग और उपहार दोनों के लिए उपयुक्त बनाते है।

उन्होंने बताया कि निज़ामाबाद ब्लैक पॉटरी, जिसे जीआई टैग प्राप्त है, इस स्टॉल का सबसे आकर्षक उत्पाद है। काशी तमिल संगमम् में तमिलनाडु से आए लोगों ने इस कला को सबसे ज्यादा पसंद किया। कई लोगों ने तो उनसे अनुरोध किया कि वे तमिलनाडु आएं, और वे उन्हें किसी भी प्रकार का सहयोग देने को तैयार हैं। इसी बीच एक तमिलनाडु के ग्राहक ने मिट्टी से बने पेन के लिए विशेष बी 2बी ऑर्डर भी दिया है। उन्होंने बताया कि इस कला को आगे बढ़ाने वाली अपनी परिवार की चौथी पीढ़ी हैं। आज कई प्रतियोगी होने के बावजूद, वे अपनी मेहनत और कौशल से अपनी कला को जीवित रखे हुए हैं। काशी तमिल संगमम् ने उन्हें नए बाज़ारों, नए ग्राहकों और नई उम्मीदों से जोड़ दिया है। वे तमिलनाडु के लोगों से संवाद करने के लिए रोज़ तमिल और अंग्रेज़ी के नए शब्द सीख रहे हैं, ताकि व्यापार और भी बढ़ सके। स्टाल पर मौजूद झारखंड के संजय ने बताया कि 5 ग्लास खरीदे। पॉटरी के ये उत्पाद खाने-पीने में एक अलग प्राकृतिक स्वाद जोड़ते हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी