आज भी पुराने सिक्कों को संजोए हुए है हरिद्वार
-आसानी से मिल जाते हैं एक से लेकर दस पैसे तक के सिक्के हरिद्वार, 13 दिसंबर (हि.स.)। धर्मनगरी हरिद्वार आज भी पुरानी भारतीय मुद्राओं को संजोकर रखे हुए है। प्राचीन भारतीय मुद्राओं का चलन आज भी हरिद्वार में जीवित है। एक पैसा, दो पैसा, तीन पैसा, पांच
पुराने सिक्के


-आसानी से मिल जाते हैं एक से लेकर दस पैसे तक के सिक्के

हरिद्वार, 13 दिसंबर (हि.स.)। धर्मनगरी हरिद्वार आज भी पुरानी भारतीय मुद्राओं को संजोकर रखे हुए है। प्राचीन भारतीय मुद्राओं का चलन आज भी हरिद्वार में जीवित है। एक पैसा, दो पैसा, तीन पैसा, पांच पैसा से लेकर दस पैसा तक के पुराने तांबे के सिक्के शहर में आसानी से मिल जाते हैं।

कई लोग वर्षों से अपने पास संभालकर रखे हुए पुराने सिक्कों को बेचते हैं, वहीं गंगा का जलस्तर कम होने पर भी नदी की रेत से भी प्राचीन सिक्के निकल आते हैं। हरकीपैड़ी सहित आसपास के तमाम घाटों पर गंगा में डुबकी लगाकर सिक्के ढूंढने वालों को आसानी से देखा जा सकता है।

तीर्थ पुरोहित अविक्षित रमन के अनुसार पुराने सिक्के मुख्य रूप से पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यों में प्रयोग किए जाते हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि तांबे के ये पुराने सिक्के पूजा में शुभ फल देते हैं और कई पूजा पद्धति की परंपराओं में इनका विशेष महत्व है। सिक्का संग्रह करने वालों की भी इस क्षेत्र में अच्छी-खासी रुचि रहती है। क्योंकि हरिद्वार में विभिन्न कालखंडों के दुर्लभ एवं छोटे मूल्य वाले सिक्के आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला