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मुंबई, 11 दिसंबर (हि.स.)। नासिक के त्र्यंबकेश्वर तहसील के टेक देवगांव के वविहर्ष पाड़ा के आदिवासी गांव में गरीबी से तंग एक मां पर अपने ही बच्चों को बेचने का आरोप लगाया गया है। नासिक ग्रामीण पुलिस बच्चों के बेचने वाले मां-बाप और खरीदने वालों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। पुलिस ने तीन बच्चों को भी बरामद किया है।
नासिक जिले के पुलिस अधीक्षक बालासाहेब पाटिल ने गुरुवार को बताया कि त्र्यंबकेश्वर तहसील के टेक देवगांव के वविहर्ष गांव की बच्चूबाई विष्णू हंडोगे (45) नामक महिला ने तीन अक्टूबर को सरकारी अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया था। जन्म के समय बच्चे का वजन कम था, इसलिए १० अक्टूबर को आशा वर्कर महिला के आवास पर बच्चे की जांच के लिए गई। उस समय बच्चा घर पर नहीं मिला और महिला ने बच्चे को रिश्तेदार के यहां भेजने की बात की। इसके बाद आशा वर्कर को शक हुआ, तो उसने यह बात अपने वरिष्ठों को बताई।
इसके बाद नासिक जिले के जिलाधिकारी आयुष प्रसाद ने मामले की गहन छानबीन करने का काम चिल्ड्रेन वेलफेयर कमेटी को सौंप दिया। छानबीन के बाद पता चला है कि महिला ने १०० रुपये के बांड पेपर पर गोद देने के नाम पर नवजात बच्चे को दस हजार रुपये में कथित तौर पर बेच दिया था। जांच में यह भी पता चला है कि महिला के कुल 11 बच्चे हैं। इनमें से दो बच्चियों की शादी हो चुकी है।
इस मामले में गिरफ्तार बच्चूबाई और उनके पति विष्णु हंडोगे ने कहा कि उन्होंने अपने बच्चों को परवरिश के लिए अन्य लोगों को दिया है। उन्होंने यह फैसला इसलिए लिया, क्योंकि बच्चा बीमार था और दूध और दवा नहीं थी। महिला ने बच्चों को बेचे जाने की बात से इनकार किया। उसका कहना है कि गरीबी के कारण वह बच्चों की परवरिश नहीं कर पा रही थी, उसके पास दूध तक नहीं था, इसलिए उसने बच्चों को केवल रिश्तेदारों के पास देखभाल के लिए भेजा, पैसे नहीं लिए।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजबहादुर यादव