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नैनीताल, 10 दिसंबर (हि.स.)। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने जिला पंचायत नैनीताल के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के लिए 14 अगस्त को हुए मतदान के दिन पांच जिला पंचायत सदस्यों के अपहरण से सम्बंधित एक जनहित याचिका की सुनवाई के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है।
बुधवार काे मुख्य न्यायाधीश जी नरेन्दर एवं न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कथित रूप से अपहृत हाेने वाले पांचों जिला पंचायत सदस्य उच्च न्यायालय में पेश हुए। इसके साथ ही सीबीसीआईडी हल्द्वानी के अधिकारी भी कोर्ट में पेश हुए। सीबीसीआईडी के जांच अधिकारियों ने अपहरण से जुड़े मामले में अब तक हुई जांच की प्रगति रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश की। कोर्ट ने सीबीसीआईडी की जांच की धीमी गति और कड़ी नाराजगी जताते हुए कड़ी टिप्पणी की। काेर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
मामले के अनुसार 14 अगस्त को जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के दिन मतदान स्थल के समीप से पांच जिला पंचायत सदस्यों का अपहरण किए जाने का मामला संज्ञान में आया था। इन जिला पंचायत सदस्यों में ककोड़ से सदस्य डीकर सिंह मेवाड़ी, ओखलकांडा मल्ला से प्रमोद सिंह, चापड़ से तरूण कुमार शर्मा, चौखुटा से दीप सिंह बिष्ट, जंगलिया गॉव से विपिन सिंह जंतवाल शामिल हैं। हालांकि जिन सदस्यों का अपहरण हुआ था, उन्होंने बाद में अपनी मर्जी से घूमने जाने का बयान दिया था, लेकिन इससे पूर्व अपहृत सदस्यों के परिजनों ने उच्च न्यायालय के समक्ष बयान दिया कि अपहृत परिजनों से संपर्क नहीं हो रहा है। इसलिए उन्हें ढूंढने में मदद की जाए। इस आशय के शपथ पत्र कोर्ट की रजिस्ट्री में सुरक्षित हैं। कोर्ट ने जिला पंचायत सदस्यों से घटना के दिन व उसके बाद के घटनाक्रम को लेकर बारी बारी से कई सवाल पूछे। जांच अधिकारियों के बयान विरोधाभासी थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / लता