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—चेहरों के दर्पण में प्रकट हुई जिंदगी,30 से अधिक पोर्ट्रेट शामिल
वाराणसी,10 दिसंबर (हि.स.)। किसी ने सच ही कहा है कि चेहरे से व्यक्ति के व्यक्तित्व और जीवन से जुड़ी अनेक बातों का पता चलता है। इसीलिए चेहरे को जीवन का दर्पण कहा जाता है। यही बात एकल छायाचित्रों की प्रदर्शनी को देखकर महसूस की जा सकती है। बुधवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दृश्य कला संकाय की अहिवासी कला दीर्घा में अहमदाबाद (गुजरात) के वरिष्ठ छायाकार मनन ठाकर की एकल फोटो प्रदर्शनी के उद्घाटन के अवसर पर लोगों को कुछ ऐसा ही महसूस हुआ।
प्रदर्शनी में देश के विभिन्न प्रांतों में आयोजित मेले, त्योहारों और विभिन्न अवसरों पर खींचे गए मनन ठाकर के 30 से अधिक पोर्ट्रेट (व्यक्ति छायाचित्र) इस प्रदर्शनी में शामिल है। छायाकार ने जीवन के विभिन्न मनोभावों को दर्शाते हुए चेहरों को अपने छायाचित्रों में स्थान दिया है। ये चेहरे अपने आप में एक नए भाव को प्रकट करते हैं। छाया चित्र में किसी बुजुर्ग की आंखों में अनुभव का उजाला है, तो किसी युवा की आंखों में भविष्य के सपने हैं। जहां एक और बाल मन की चंचलता उसके चेहरे से झलकती है, वहीं दूसरी और बुढ़ापे का एकाकीपन भी वृद्धा की मुखाकृति से स्पष्ट दिखाई पड़ता है।
कला दीर्घा संयोजक डॉ. सुरेश जांगिड़ ने प्रदर्शनी का परिचय प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि ट्रैवल/ स्ट्रीट फोटोग्राफर मनन ठाकर की अब तक सात सामूहिक एवं तीन एकल छायाचित्र प्रदर्शनी हो चुकी हैं। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन दृश्य कला संकाय की संकाय प्रमुख प्रो.उत्तमा दीक्षित, शल्य चिकित्सक, आर्टिस्ट एवं फोटोग्राफर डॉ. गौतम चक्रवर्ती एवं वरिष्ठ छायाकार विनय रावल ने संयुक्त रूप से किया। उन्होंने बताया कि प्रदर्शनी 12 दिसंबर तक दर्शकों के अवलोकनार्थ खुली रहेगी। प्रदर्शनी के उद्घाटन के अवसर पर वरिष्ठ कलाकार अजय उपासनी, दृश्य कला संकाय के सदस्यों समेत व्यावहारिक कला विभाग से डॉ. आशीष गुप्ता, कृष्णा सिंह, चित्रकला विभाग से सुरेश नायर, डॉ . ललित मोहन सोनी, डॉ. सुनील पटेल, मूर्तिकला विभाग से साहेब राम टुडू की भी उपस्थिति रही।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी