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प्रयागराज, 10 दिसम्बर (हि.स.)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के एक पूर्व कर्मचारी को सीपीएफ से जीपीएफ योजना में जाने की अनुमति दी है।
वहीं, अन्य दो कर्मचारियों की याचिका खारिज कर दी। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकलपीठ ने दिया है। याची राम स्वरूप राजपूत (शिक्षक मैकेनिक बी), फूल सिंह चौहान (इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियर) और एक अन्य शिक्षक ने आईआईटी कानपुर में अपनी सेवाएं दी थीं। उन्होंने सीपीएफ से जीपीएफ पेंशन योजना में जाने के लिए आवेदन किया था जिसे संस्थान ने 16 सितम्बर 2021 के आदेश से अस्वीकार कर दिया था।
कोर्ट ने कहा कि याची फूल सिंह चौहान ने 31 अगस्त 1990 को सेवा शुरू की थी। यानी केंद्र सरकार के 1 मई 1987 के कार्यालय ज्ञापन और आईआईटी कानपुर द्वारा 11 सितम्बर 1987 को अपनाने के बाद वह 1 जनवरी 1986 के बाद सेवा में आए। इसलिए उन्हें स्वतः ही पेंशन योजना के अंतर्गत माना जाना चाहिए था। कोर्ट ने उन्हें राहत देते हुए कहा कि सीपीएफ में दी गई राशि को 5 प्रतिशत साधारण ब्याज के साथ वापस करना होगा। जिसके बाद उन्हें जीपीएफ-पेंशन योजना का लाभ मिल सकेगा।
हालांकि, याची राम स्वरूप राजपूत और याची तीन के सम्बंध में कोर्ट ने कहा कि उन्होंने 1987 और 1992 में दो बार सीपीएफ योजना में ही रहने का विकल्प चुना था। बाद में 15 वर्ष की सेवा पूरी होने पर भी उन्होंने जीपीएफ में जाने का अवसर नहीं लिया। ऐसे में उनकी याचिका को खारिज कर दिया।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामानंद पांडे