राजस्थान से गुजरेगा देश के एनर्जी सेक्टर का सुपर हाईवे: केन्द्रीय विद्युत मंत्री
- प्रवासी राजस्थानी दिवस में बैटरी एनर्जी स्टोरेज पर विशेष सत्र जयपुर, 10 दिसंबर (हि.स.)। केन्द्रीय विद्युत मंत्री मनोहरलाल ने आशा व्यक्त की है कि पश्चिमी राजस्थान में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण के मामले में ट्रांसमिशन लाइनों के विस्तार का
राजस्थान से गुजरेगा देश के एनर्जी सेक्टर का सुपर हाईवे: केन्द्रीय विद्युत मंत्री


- प्रवासी राजस्थानी दिवस में बैटरी एनर्जी स्टोरेज पर विशेष सत्र

जयपुर, 10 दिसंबर (हि.स.)। केन्द्रीय विद्युत मंत्री मनोहरलाल ने आशा व्यक्त की है कि पश्चिमी राजस्थान में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण के मामले में ट्रांसमिशन लाइनों के विस्तार का जल्द ही विधिक समाधान निकलेगा। उन्होंने कहा कि ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर-तृतीय को केन्द्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय से अनुमति प्राप्त हो गई है। केन्द्रीय ट्रांसमिशन नेटवर्क के अन्तर्गत 115 गीगावाट का तंत्र राजस्थान में बनाया जा रहा है। प्रसारण तंत्र का यह विस्तार इस बात का संकेत है कि देश के एनर्जी सेक्टर का सुपर हाईवे राजस्थान से होकर ही गुजरेगा।

मनोहरलाल बुधवार को जेईसीसी में प्रवासी राजस्थानी दिवस के अवसर पर बैटरी एनर्जी स्टोरेज को लेकर आयोजित विशेष सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने राजस्थान में सौर ऊर्जा क्षेत्र के विकास को लेकर राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि राजस्थान न केवल देश के, बल्कि वैश्विक अक्षय ऊर्जा मानचित्र पर अग्रणी भूमिका निभा रहा है। आज हमारा प्रदेश सौर ऊर्जा और समग्र अक्षय ऊर्जा क्षमता, दोनों में देश में प्रथम स्थान पर है। उन्होंने कहा कि इस परिवर्तन में प्रवासी राजस्थानियों का ज्ञान, पूंजी और ग्लोबल नेटवर्क अत्यंत मूल्यवान पूंजी है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राजस्थान को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। प्रदेश को ऊर्जा लेने वाले के स्थान पर देने वाले राज्य के रूप में स्थापित करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय किए गए हैं। हमारी सरकार ने अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं और पार्कों के लिए 23,386 हेक्टेयर भूमि आवंटित की है, जिसके माध्यम से लगभग 10,202 मेगावाट क्षमता विकसित होने जा रही है।

शर्मा ने कहा कि अक्षय ऊर्जा निगम एवं विद्युत उत्पादन निगम को 26,784 मेगावाट क्षमता वाले सोलर पार्कों के लिए 51,808 हेक्टेयर भूमि का अतिरिक्त आवंटन किया गया है, जो आने वाले वर्षों में गीगावाट स्तर की परियोजनाओं का मजबूत आधार बनेगा। वहीं, 964 मेगावाट सोलर कैप्टिव प्लांटों एवं 1,514 मेगावाट क्षमता वाले सोलर प्लांटों को स्वीकृति दी जा चुकी है, जो उद्योगों और बड़े उपभोक्ताओं को स्वच्छ, सस्ती और दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा देंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के किसानों को सशक्त बनाने और उन्हें अन्नदाता के साथ ऊर्जादाता बनाने के लिए पीएम कुसुम जैसी अनुपम योजना चलाई है। इसमें राजस्थान पूरे देश के लिए मार्गदर्शक राज्य बनकर उभरा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पीएम-कुसुम (कम्पोनेंट ए और सी) के अंतर्गत 10,533 मेगावाट क्षमता की 5,002 सौर परियोजनाओं के लिए कार्यादेश किए हैं और 2,272 मेगावाट की 1,019 परियोजनाएं स्थापित की जा चुकी हैं। कम्पोनेंट-ए में तो हमारा राजस्थान पूरे देश में प्रथम स्थान पर पहुंच गया है।

प्रदेश के खाद्य मंत्री सुमित गोदारा ने कहा कि सौर ऊर्जा परियोजनाओं ने पश्चिमी राजस्थाान में लोगों का भाग्य बदल दिया है। ऊर्जा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री हीरालाल नागर ने कहा कि प्रदेश में पीक ऑवर्स की डिमांड को पूरा करने के लिए बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली को गति दी गई है। राज्य में 6 हजार मेगावाट की भंडारण प्रणाली विकसित की जा रही है।

इस अवसर पर राजस्व मंत्री हेमंत मीणा, मुख्य सचिव वी. श्रीनिवास, ऊर्जा विभाग के प्रमुख शासन सचिव अजिताभ शर्मा सहित एनर्जी सेक्टर से जुड़ी विभिन्न संस्थाओं, उद्यमों के प्रतिनिधि एवं प्रदेश के विद्युत निगमों के अधिकारी मौजूद रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश