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रांची, 10 दिसंबर (हि.स.)। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में बुधवार को झारखंड विधानसभा में सिद्धो–कान्हो कृषि एवं वनोपज राज्य सहकारी संघ लिमिटेड (सिद्धकोफेड) के निदेशक मंडल की चतुर्थ बैठक आयोजित हुई।
बैठक में कृषि एवं वनोपज क्षेत्र के सुदृढ़ीकरण, किसानों की आय वृद्धि, स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहन देने और प्रशिक्षण एवं विपणन तंत्र को सशक्त बनाने से संबंधित कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की गई और कई प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई। बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड राज्य में कृषि एवं वनोपज क्षेत्र में अत्यधिक संभावनाएं हैं। किसानों को आधुनिक और तकनीकी रूप से सक्षम बनाने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का मुख्य उद्देश्य किसानों को खेती के प्रत्येक चरण—उत्पादन, भंडारण, प्रसंस्करण से लेकर विपणन तक—पूर्ण सहयोग देना है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को आधुनिक तकनीक, उन्नत बीज, सिंचाई की बेहतर सुविधा और बाजार तक उनकी पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में लगातार काम कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को उनकी फसलों के उचित मूल्य का भुगतान समय पर हो, ताकि उनका मनोबल बढ़े और वे आर्थिक रूप से सशक्त हों। उन्होंने कहा कि खेती-किसानी राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, इसलिए किसानों की समृद्धि ही सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने जलस्रोतों के संरक्षण और चेक डैमों की मरम्मत और देखरेख की जरूरत पर भी बल दिया। मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि इन जल संरचनाओं की देखरेख की जिम्मेदारी किसानों के समूहों या जलसहिया समितियों को सौंपी जानी चाहिए, ताकि स्थानीय स्तर पर स्वामित्व और जवाबदेही दोनों सुनिश्चित हो सके। इस पहल से न केवल जल संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि ग्रामीण आजीविका को भी स्थायी आधार प्राप्त होगा।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि किसानों के हित में एक विशेष मोबाइल एप्लीकेशन विकसित की जाए। इस एप के माध्यम से राज्य के विभिन्न जिलों के किसान अपनी फसलों, आवश्यक कृषि सामग्रियों, मार्केटिंग की स्थिति और बाजार संबंधी जानकारी को सीधे डिजिटल माध्यम से साझा कर सकेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस डिजिटल पहल से किसानों को न केवल अपने उत्पादों के बेहतर मूल्य निर्धारण में सहायता मिलेगी, बल्कि उन्हें बाजार की वास्तविक स्थिति की अद्यतन जानकारी भी प्राप्त होगी। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि कृषि विभाग का एक स्थानीय पोर्टल विकसित किया जाए, जिसके माध्यम से उपभोक्ता सीधे किसानों से जुड़कर कृषि उत्पादों की खरीद कर सकें। इस व्यवस्था से किसानों और उपभोक्ताओं के बीच एक पारदर्शी एवं लाभकारी संपर्क स्थापित होगा। इससे बिचौलियों की भूमिका घटेगी और किसानों की आय में वृद्धि होगी।
बैठक में मुख्यमंत्री ने राज्य में लाह, इमली, कोदो, कुटकी, चिरौंजी, महुआ, करंज, रेशम और तसर जैसे झारखंड के विशिष्ट वनोपजों के उत्पादन, प्रसंस्करण और मार्केटिंग को सुदृढ़ करने की जरूरत पर भी बल दिया। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस दिशा में कार्ययोजना तैयार कर समय पर क्रियान्वयन करें, ताकि राज्य के किसानों और वनोपज संग्राहकों को इसका सीधा आर्थिक लाभ मिल सके।
उन्होंने कहा कि कृषि एवं वनोपज आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना सरकार की प्राथमिकता है और इसके लिए सभी विभाग समन्वित रूप से कार्य करे।
बैठक में सिद्धो–कान्हू कोऑपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड (सिद्धकोफेड) द्वारा वित्तीय वर्ष 2025–26 एवं 2026–27 के लिए विभिन्न योजनाओं, कार्यक्रमों, बजट और कार्ययोजनाओं पर विस्तृत विचार–विमर्श किया गया। इस दौरान लाह, बीज, तसर सहित राज्य के प्रमुख कृषि–वनोपज उत्पादों के उत्पादन, संकलन, प्रसंस्करण एवं विपणन को बढ़ावा देने से संबंधित नीतिगत निर्णय लिया गया।
बैठक में कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की, मुख्य सचिव अविनाश कुमार, सचिव अबु बकर सिद्दीक, प्रशांत कुमार, कृपानंद झा, अरवा राजकमल सहित संबंधित विभागों के वरीय पदाधिकारी और आमंत्रित सदस्य उपस्थित थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / विकाश कुमार पांडे