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मंडी, 10 दिसंबर (हि.स.)। स्कीम वर्करज के राष्ट्रीय फेडरेशन के आह्वान पर स्कीम वर्करज ने जिला मंडी मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया।इ स प्रदर्शन में जिले के विभिन्न खंडों से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका तथा मिड डे मील के सैकड़ो कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। वर्करों ने पिछले कई सालों से देश के करोड़ों गरीब बच्चों के पेट में दो वक्त का अनाज और मां के गर्भ में पल रहे बच्चे को पोषण पहुंचा रहे हैं लेकिन वो आज आक्रोश के लिए खड़े हैं । केंद्र सरकार ने पिछले 2009 से लेकर मिड डे मिल कर्मियों और 2020 से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय में एक रूपया भी नहीं बढ़ाया है। इसके अलावा महंगाई राहत भी नहीं दे रही है बल्कि नंद घर और वेदांत तथा पोषण 2.0 के नाम पर इन जनकल्याणकारी योजनाओं को निजी हाथों में सौंपने की जल्दबाजी में है। डिजिटलाइजेशन और एफआरएस ऐप के नाम पर लाखों हितग्राहियों को योजनाओं से बाहर किया जा रहा है। इनके बजट में हर साल कटौती की जा रही है तथा कई महीनो तक वेतन तक का भुगतान नहीं किया जाता जिससे इन वर्करो में भारी रोष है।
उन्होंने मांग की कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार आंगनबाड़ी कर्मियों को ग्रेच्युटी, पेंशन, चिकित्सा एवं मातृत्व अवकाश की सुविधा नहीं दी जा रही है। मिड डे मील वर्करों को छुट्टियों का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए आंगनबाड़ी की दर्ज पर 20 आकस्मिक अवकाश दिए जाना चाहिए। मिड डे मिल कर्मियों को कई महीनो तक मानदेय नहीं दिया जाता है इसलिए हर महीने की 1 तारीख को एकमुश्त उनके बैंक खाते में डाली जाए। 45 में भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश को तत्काल लागू कर आंगनबाड़ी व मिड डे मिल कर्मियों को श्रमिक /कर्मचारी का दर्जा दो।
केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन महंगाई भत्ता तत्काल लागू करो। मिड डे मिल कर्मियों को 10 महीने की बजाय 12 महीने का वेतन दो। मिड डे मील योजना को कक्षा आठवीं तक सीमित न रखकर 12वीं तक बढ़ाया जाए। वेदांत, नंद घर, पिरामल, आईएसए आदि के नाम पर आंगनबाड़ी और मिड डे मील योजनाओं का निजीकरण पर तत्काल पूर्ण रोक लगे। मजदूर विरोधी 4 श्रम संहिताओं को रद्द कर पुरानी श्रम कानून व्यवस्था बहाल करो। इन सभी मांगों को लेकर मांग पत्र उपयुक्त के माध्यम से देश के प्रधानमंत्री को भी सोपा गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा