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कोलकाता, 10 दिसंबर (हि.स.)। कलकत्ता उच्च न्यायालय में बुधवार को शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार से संबंधित एक सूची जमा हुई है। न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा के कक्ष में बुधवार को स्कूल सर्विस कमीशन (एसएससी) मामले को लेकर अभूतपूर्व तनाव का माहौल देखा गया। अदालत में पूरा वातावरण गंभीर बना रहा और याचिकाकर्ता तथा प्रतिवादी पक्ष के वकीलों के बीच तीखी नोकझोंक हुई।
विशेषकर नौवीं–दसवीं और ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा के शिक्षक नियुक्ति पैनल की अवधि समाप्त होने तथा ‘नॉट स्पेशली फाउंड टू बी टेंटेड’ यानी जिन उम्मीदवारों पर भ्रष्टाचार का प्रत्यक्ष आरोप नहीं पाया गया, उनकी सूची जारी करने को लेकर विवाद और बढ़ गया।
आज की सुनवाई में मुख्य रूप से आइटम नंबर सात और नौ पर चर्चा केंद्रित रही। बताया गया कि नौवीं–दसवीं वर्ग के लिए आयोग ने उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार योग्य और अयोग्य अभ्यर्थियों की अलग–अलग सूची तैयार कर ली है, किंतु ग्यारहवीं–बारहवीं वर्ग की नियुक्तियों को लेकर स्थिति उलझी हुई है।
याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि जिन उम्मीदवारों पर भ्रष्टाचार का कोई ठोस सबूत नहीं है, उनकी सूची तत्काल सार्वजनिक की जाए। वहीं अदालत में यह सवाल भी उठा कि पैनल की अवधि समाप्त होने के बाद जिनकी नियुक्ति हुई, वे योग्य हैं या नहीं? इस मुद्दे पर निर्णय किए बिना वेबसाइट पर सूची प्रकाशित करने पर आपत्ति जताई गई।
इसी विवाद के बीच न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा के आदेशानुसार आयोग ने उन उम्मीदवारों की सूची सीलबंद लिफाफे में अदालत को सौंपी, जिनकी नियुक्ति पैनल की अवधि खत्म होने के बाद हुई थी। न्यायालय यह देखना चाहता है कि कहीं योग्य उम्मीदवारों के बीच कोई अयोग्य व्यक्ति तो चयन प्रक्रिया में शामिल नहीं हुआ। इसलिए आयोग ने निर्देशानुसार पैनल की अवधि समाप्त होने के बाद नियुक्त अभ्यर्थियों की नामावली न्यायालय में प्रस्तुत की।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर