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हनुमानघाट कांची कामकोटि स्वर मंदिर के उत्तर दिशा में स्थापित है महाकवि की प्रतिमा
वाराणसी,10 दिसबंर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी जनपद में चल रहे काशी तमिल संगमम के चौथे संस्करण के बीच तमिल महाकवि सुब्रमण्यम भारती की जयंती के पूर्व संध्या पर अधिवक्ताओं ने उनकी प्रतिमा के समक्ष 143 दीए जलाए। हनुमानघाट स्थित
कांची कामकोटि स्वर मंदिर के उत्तर दिशा में स्थित महाकवि भारतियार की मूर्ति के पास जुटे अधिवक्ताओं ने उन्हें नमन किया।
बनारस बार एसोसियेशन के पूर्व महामंत्री अधिवक्ता नित्यानंद राय और विनोद पांडेय 'भैयाजी' ने संयुक्त रूप से कहा कि महाकवि सुब्रमण्यम भारती को उत्तर भारत और दक्षिण भारत के बीच एक सेतु के तौर पर याद किया जाता है। उनकी कविताओं में राष्ट्रभक्ति कूट-कूट कर भरी हुई है। वह एक कवि होने के साथ-साथ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, समाज सुधारक, पत्रकार भी थे । नित्यानंद राय ने बताया कि सुब्रमण्यम भारती 1898,1899,1900,1901 चार साल तक काशी में रहे। उनके बुआ के आगे की पीढ़ी आज भी उस घर में रह रही है। तमिलनाडु सरकार ने उस घर पर उनकी याद में एक शिलापट्ट भी लगा दिया है,साथ ही कांची कामकोटिश्वर मंदिर के उत्तर तरफ एक प्रतिमा भी स्थापित है। इस प्रतिमा की स्थापना तत्कालीन उपराष्ट्रपति वेंकटरामन ने 10 सितम्बर 1986 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरबहादुर सिंह के कार्यकाल में किया था।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी