पंडित उल्हास कशालकर के स्वरों ने रागों में प्राण फूँके
जयपुर, 8 नवंबर (हि.स.)। ‘अनहद’ की सुरमयी संध्या उस क्षण अनंत हो उठी जब पंडित उल्हास कशालकर के स्वरों ने रागों में प्राण फूँक दिए। उनके गायन में ग्वालियर की गहराई, जयपुर की विस्तारशीलता और आगरा की दृढ़ता एक साथ झिलमिलाई। स्वर कभी ध्यान बनकर ठहरते,
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