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हुगली, 03 नवंबर (हि. स.)। पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (एसआईआर) प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक माहौल लगातार गरमाता जा रहा है। जहां एक ओर चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह एक नियमित प्रक्रिया है, जिसके तहत हर वर्ष मतदाता सूची का सत्यापन, संशोधन और नए नाम जोड़े जाते हैं, वहीं दूसरी ओर विपक्ष का आरोप है कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस इस प्रक्रिया को लेकर आम जनता के बीच भय और भ्रम फैलाने का काम कर रही है।
इसी बीच हुगली जिले के डानकुनी नगरपालिका के 20 नंबर वार्ड में हृदयाघात से हुई हसीना बेगम नामक महिला के मौत को भी एसआईआर से जोड़कर देखा जा रहा है। परिवार का दावा है कि हसीना बेगम का नाम 2002 की मतदाता सूची में नहीं है। और जब से उन्हें यह पता चला था, वे चिंतित थीं। इस घटना की खबर मिलते ही डानकुनी नगर पालिका की चेयरमैन हसीना शबनम इलाके में पहुंचीं। उन्होंने दावा किया, हसीना बेगम को जब से पता चला कि उनका नाम 2002 की मतदाता सूची में नहीं है, तब से वे बहुत डरी हुई थीं। इसी चिंता के कारण दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई।
चेयरमैन ने दावा किया कि सिर्फ़ यही महिला नहीं, इलाके का एक और व्यक्ति एसआईआर के डर से बीमार पड़ गया है। तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी और तृणमूल के अन्य शीर्ष नेता इलाके का दौरा कर रहे हैं।
दूसरी तरफ रिषड़ा नगरपालिका के चार नंबर वार्ड के पार्षद शाकिर अली को कथित रूप से एसआईआर के कारण इतनी टेंशन हो गई कि उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। पार्षद ने दावा किया कि उनके इलाके में एक झुग्गी बस्ती है। जब से एसआईआर की घोषणा हुई है, वहां हड़कंप मच गया है। हर कोई, चाहे हिंदू हो या मुसलमान, एसआईआर के बारे में जानने के लिए शाकिर अली के पास जाता है। झुग्गी-झोपड़ी वाले यह देखने जाते हैं कि उनका नाम सूची में है या नहीं, उनके कागज़ात सही हैं या नहीं। तृणमूल पार्षद का कहना है कि उन्हें डर है कि कहीं उनका नाम सूची में न छूट जाए, है ना? सबको यही समझाते-समझाते वह खुद बीमार पड़ गए।
वहीं, भारतीय जनता पार्टी के श्रीरामपुर सांगठनिक जिले की महासचिव शशि सिंह झा ने सोमवार शाम हिन्दुस्थान समाचार से कहा कि एसआईआर के नाम पर तृणमूल कांग्रेस अफवाह फैला रही है। कुछ लोगों में तृणमूल नेताओं ने एसआईआर को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है। राज्य में कहीं भी होने वाली मौत जैसी दुखद घटना को तृणमूल के लोग एसआईआर के जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। जब तृणमूल के लोग एसआईआर को नहीं रोक पाए तो अब वे अफवाहों का बाजार गर्म कर लोगों को बरगलाने की कोशिश कर रहे हैं।
भाजपा पार्षद ने कहा कि जो भी व्यक्ति चाहे को किसी भी जाति या धर्म का हो यदि वह भारतीय है तो उसे एसआईआर से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है।
चुनाव आयोग ने पहले ही यह साफ कर दिया है कि एसआईआर एक सामान्य प्रक्रिया है जो हर साल की तरह इस वर्ष भी की जा रही है। आयोग ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी राजनीतिक दल की अफवाहों पर विश्वास न करें और अपने नाम की जांच निर्धारित फॉर्म के माध्यम से शांतिपूर्वक कराएं।
बहरहाल, पश्चिम बंगाल में एसआईआर को लेकर बढ़ती राजनीतिक बयानबाजी ने मतदाताओं के बीच असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। जहां भाजपा इसे टीएमसी की अफवाह फैलाने की रणनीति बता रही है, वहीं तृणमूल इसे भाजपा की मतदाता हेराफेरी की साजिश करार दे रही है। सियासी तकरार ने इसे अब एक बड़े राजनीतिक मुद्दे का रूप दे दिया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / धनंजय पाण्डेय