शोध का निष्कर्ष वर्तमान परिप्रेक्ष्य में समाज के लिए उपयोगी हो : प्रो. धनंजय यादव
प्रयागराज, 03 नवम्बर (हि.स.)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत, पालि, प्राकृत, प्राच्य भाषा विभाग के प्राक्शोधोपाधिपाठ्यचर्या सत्र में विशिष्ट व्याख्यान के अन्तर्गत सोमवार को बतौर मुख्य अतिथि शिक्षा शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. धनंजय यादव द
सम्बोधित करते प्रो धनंजय यादव


प्रयागराज, 03 नवम्बर (हि.स.)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत, पालि, प्राकृत, प्राच्य भाषा विभाग के प्राक्शोधोपाधिपाठ्यचर्या सत्र में विशिष्ट व्याख्यान के अन्तर्गत सोमवार को बतौर मुख्य अतिथि शिक्षा शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. धनंजय यादव द्वारा ‘अनुसन्धान का स्वरूप एवं उपादेयता’ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। शोध का तथ्य एवं तर्क पर आधारित व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए मुख्य अतिथि ने बताया कि शोध के विविध आयामों का ज्ञान शोधार्थी को अनिवार्य रूप से होना चाहिए एवं शोधार्थी के लिए यह भी आवश्यक है कि शोध का उद्देश्य ही निष्कर्ष के रूप में सामने आये। इसलिए शोध विषय की प्रत्येक कड़ी एक दूसरे से जुड़ी हुई होनी चाहिए। शोध का निष्कर्ष वर्तमान परिप्रेक्ष्य में समाज के लिए उपयोगी होना चाहिए।

इविवि पीआरओ डॉ. अमित कुमार शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. अनिल प्रताप गिरि ने की। कार्यक्रम का संयोजन शोधोपाधिपाठ्यचर्या प्रभारी डॉ. निरुपमा त्रिपाठी ने एवं संचालन शोध छात्रा कोमल मिश्रा ने किया। मुख्य अतिथि का परिचय शोध छात्रा अंजलि गिरि ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन शोध छात्र मयंक मणि त्रिपाठी ने किया। इस कार्यक्रम में शोधार्थियों सहित अनेक विभागीय शिक्षकों की भी उपस्थिती रही।

हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र