अफगानिस्तान के पास 'सुरक्षा गांरटी' नहीं - पाकिस्तान
इस्लामाबाद, 3 नवंबर (हि.स.)। पाकिस्तानी सेना ने कहा है कि पाकिस्तान की सुरक्षा की ''गारंटी'' उसके सशस्त्र बलों के पास है जबकि ऐसी ''गांरटी'' अफगानिस्तान के तालिबान शासन के पास नहीं हैै। देश के इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के महान
लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी


इस्लामाबाद, 3 नवंबर (हि.स.)।

पाकिस्तानी सेना ने कहा है कि पाकिस्तान की सुरक्षा की 'गारंटी' उसके सशस्त्र बलों के पास है जबकि ऐसी 'गांरटी' अफगानिस्तान के तालिबान शासन के पास नहीं हैै।

देश के इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने साेमवार काे यहां एक पत्रकार वार्ता में यह दावा किया ।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में तालिबानी शासन स्थापित हाेने काे जश्न कभी भी नहीं मनाया है। उन्हाेंने ज़ोर देकर कहा कि तहरीक-ए-तालिबान और बलाेच लिबरेशन आर्मी सहित अन्य विद्राेही संगठनाें के खिलाफ अभियान जारी रहेंगे।

लेफ्टिनेंट जनरल चौधरी ने कहा कि पाकिस्तान के सशस्त्र बल राष्ट्रीय सुरक्षा की गारंटी लेते हैं लेकिन ऐसी गारंटी अफगानिस्तान के पास नहीं है। उन्होंने दोहराया कि पाकिस्तान कई विद्राेही संगठनों के खिलाफ अभियान चला रहा है और इस बाबत मस्जिदों और मदरसों पर हमला करने वालों के खिलाफ कार्रवाई जारी है।

ड्रोन हमलों पर सवालों के जवाब में, सैन्य प्रवक्ता ने कहा कि ड्रोन गतिविधियों को लेकर अमेरिका के साथ कोई समझौता नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि तुर्किये में इस्तांबुल वार्ता में, पाकिस्तानी अधिकारियों ने यह स्पष्ट कर दिया था कि अफ़ग़ानिस्तान को विद्राेहियाें के लिए सुरक्षित पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए और अफ़ग़ान अधिकारियों को अपनी धरती से पनपने वाले विद्राेहियाें पर नियंत्रण रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सुरक्षाबलाें के अभियानों के दौरान अफ़ग़ानिस्तान भाग गए विद्राेहियाें काे पाकिस्तान काे साैंपा जाना चाहिए ताकि उनके खिलाफ पाकिस्तानी संविधान और कानून के तहत कार्रवाई की जा सकें।

उन्हाेंने उग्रवाद , संगठित अपराध और तहरीक-ए-तालिबान के बीच संबंधाें का जिक्र करते हुए कहा कि ये अफीम की खेती करते हैं और प्रति एकड़ 18-25 लाख रुपये (18-25 लाख रुपये) का राजस्व कमाते हैं। उन्हाेंने आराेप लगाया कि आय का यह स्रोत, सरदारों और अफ़ग़ान तालिबान के कुछ धड़ाें के साथ मिलकर एक क्षेत्रीय नेटवर्क बनाता है जो हिंसक गतिविधियों को वित्तपोषित और पोषित करता है।

उन्हाेंंने कहा कि खुफिया जानकारी के आधार पर उन क्षेत्रों में अभियान चलाए गए हैं जिनमें लगभग 200 कर्मी मारे गए हैं।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / नवनी करवाल