नारनौल में रेजांगला युद्ध के अमर वीरों की स्मृति में निकाली गई माटी कलश यात्रा का भव्य स्वागत
नारनाैल, 3 नवंबर (हि.स.)। 1962 के भारत-चीन युद्ध में हुए ऐतिहासिक रेजांगला युद्ध के अमर वीरों की स्मृति में निकाली गई शहादत माटी कलश यात्रा के सोमवार को नारनौल पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया। यह यात्रा 18 राज्यों से होती हुई नारनौल पहुंची। यात्रा
नारनौल शहर से गुजरती हुई रेजांगला युद्ध के अमर वीरों की स्मृति में निकाली गई शहादत माटी कलश यात्रा।


नारनाैल, 3 नवंबर (हि.स.)। 1962 के भारत-चीन युद्ध में हुए ऐतिहासिक रेजांगला युद्ध के अमर वीरों की स्मृति में निकाली गई शहादत माटी कलश यात्रा के सोमवार को नारनौल पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया। यह यात्रा 18 राज्यों से होती हुई नारनौल पहुंची। यात्रा में शामिल लोगों ने सबसे पहले नसीबपुर स्थित शहीदी स्मारक पर पहुंचकर 1857 में आजादी की पहली लड़ाई में शहीद हुए हजारों अनाम शहीदों को अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए।

यात्रा के नारनौल शहर में पहुंचने पर पंचायत भवन के पास जिला बार एसोसिएशन के प्रधान संतोख सिंह एडवोकेट व अनेक वकीलों ने फूल मालाओं से स्वागत किया। महावीर चौक और रेजांगला चौक पर भी लोगों ने यात्रा का स्वागत किया। मांदी में यात्रा का समापन हुआ। इसके बाद यात्रा हरियाणा के अन्य जिलों के लिए रवाना होगी।

यात्रा के प्रदेश संयोजक राव रमेश पायलट ने बताया कि रेजांगला बैटल में 124 भारतीय जवानों में से 110 शहीद हुए और चार बंदी बनाए गए। इनमें 60 जवान हरियाणा के थे, जिनमें रेवाड़ी के 26 और महेंद्रगढ़ के 16 वीर शामिल थे। उन्होंने कहा कि यह युद्ध विश्व सैन्य इतिहास की सबसे दुर्लभ लड़ाइयों में से एक माना जाता है। जहां केवल 124 भारतीय जवानों ने तीन हजार 500 चीनी सैनिकों का सामना किया।

चूशूल (रेजांगला) क्षेत्र की विकट परिस्थितियों में माइनस 40 डिग्री तापमान और कम ऑक्सीजन के बावजूद इन अहीर वीरों ने अंतिम सांस और अंतिम गोली तक लड़ाई लड़ी। उन्होंने कहा कि अगर ये वीर आखिरी दम तक न लड़ते, तो चीनी सेना चूशूल हाइट्स पार कर लेह तक कब्जा कर लेती। इस पराक्रम के लिए भारत सरकार ने एक परमवीर चक्र, आठ वीर चक्र और चार सेना मेडल प्रदान किए थे।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / श्याम सुंदर शुक्ला