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सोनीपत, 3 नवंबर (हि.स.)। सोनीपत
नगर निगम कार्यालय के बाहर सोमवार को ठेका सफाई कर्मचारियों का गुस्सा चरम पर पहुंच
गया। लंबे समय से मांगों को लेकर धरने पर बैठे कर्मचारियों ने ठेका प्रथा की प्रतियां
जलाकर निगम प्रशासन और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। कर्मचारियों ने कहा कि ठेका प्रथा
गुलामी की जंजीर है, जिसने सफाई कर्मियों को मानसिक और आर्थिक रूप से तोड़ दिया है।
प्रधान
मुकेश टांक ने बताया कि वर्ष 2018 में सरकार ने सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति नगर निगमों
में की थी और वादा किया था कि सभी पुराने ठेका कर्मचारी निगम के पे-रोल पर शामिल किए
जाएंगे, लेकिन सात साल बाद भी आदेश लागू नहीं हुए। ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत
से शोषण जारी है। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्ष 2019 से 2021 तक के एरियर की राशि ठेकेदारों
और निगम अधिकारियों ने मिलकर हड़प ली, शिकायतों और आंदोलनों के बावजूद कोई जांच नहीं
हुई।
कर्मचारियों
ने बताया कि वे पिछले एक महीने से धरने पर और तीन दिन से भूख हड़ताल पर बैठे हैं। निगम
प्रशासन उनकी आवाज दबाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन वे पीछे नहीं हटेंगे। पिछले महीने
उन्होंने सोनीपत से चंडीगढ़ तक पैदल यात्रा की थी, जहां मुख्यमंत्री के ओएसडी ने कार्रवाई
का लिखित आश्वासन दिया था, पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
महिला
सफाई कर्मचारियों ने निगम अधिकारियों पर जातीय अभद्र टिप्पणी और छेड़छाड़ के आरोप लगाए
हैं। कर्मचारियों का कहना है कि पुलिस ने अधिकारियों की शिकायत पर ही एफआईआर दर्ज की,
जबकि महिला कर्मचारियों की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। मुकेश
टांक ने कहा कि अगर प्रशासन ने जल्द ठेका प्रथा समाप्त नहीं की और भ्रष्टाचार में लिप्त
अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं की, तो कर्मचारी चंडीगढ़ सचिवालय तक बड़ा मार्च निकालेंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / नरेंद्र शर्मा परवाना