दमोह में अर्धवार्षिक परीक्षाओं में नया प्रयोग, छात्रों के आत्मविश्वास को बढ़ाने की पहल
शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर परिणाम लाने दमोह कलेक्टर का प्रयास
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- शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर परिणाम लाने दमोह कलेक्टर का प्रयास

दमोह,03 नबम्बर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के दमोह जिले में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और छात्रों में परीक्षा का भय दूर करने के लिए प्रशासन लगातार नवाचार कर रहा है। जिले के कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर की पहल पर अब एक नया प्रयोग शुरू किया गया है, जिसके तहत जिले में अर्धवार्षिक परीक्षाएँ बोर्ड परीक्षा की तर्ज पर आयोजित की जाएंगी। इस प्रयोग का उद्देश्य छात्रों को पहले से ही परीक्षा माहौल का अनुभव कराना और आगामी बोर्ड परीक्षाओं के लिए मानसिक रूप से तैयार करना है।

कलेक्टर की अनोखी पहल है ये

उल्लेखनीय है, दमोह कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर अपनी कार्यशैली और नवाचारों के लिए जाने जाते हैं। वे स्वयं विद्यालयों में जाकर छात्र-छात्राओं से संवाद करते हैं, उनकी शैक्षणिक स्थिति को समझते हैं और शिक्षकों से सुझाव लेते हैं। अब उन्होंने शिक्षा व्यवस्था को और प्रभावी बनाने के लिए अर्धवार्षिक परीक्षा को बोर्ड पैटर्न पर संचालित करने का निर्णय लिया है। कलेक्टर का मानना है कि बोर्ड जैसी सख्त व्यवस्था में परीक्षा देने से छात्रों में अनुशासन, आत्मविश्वास और परीक्षा के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होगा। साथ ही, परीक्षा का वास्तविक माहौल मिलने से उनके अंदर का भय समाप्त होगा।

प्रश्नपत्रों की सुरक्षा में पुलिस की भूमिका

जिला शिक्षा अधिकारी एस.के. नेमा ने बताया कि कलेक्टर के निर्देशानुसार दमोह जिले में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए यह परीक्षा बोर्ड प्रणाली की तरह आयोजित की जा रही है। सभी विषयों के प्रश्नपत्र भोपाल स्थित ओपन बोर्ड द्वारा विषय विशेषज्ञों से तैयार कराए गए हैं। इन्हें पूरी सुरक्षा के साथ स्थानीय पुलिस थानों में रखा गया है, ताकि प्रश्नपत्र लीक जैसी किसी भी आशंका को पूरी तरह समाप्त किया जा सके।

कड़ी निगरानी और तकनीकी नियंत्रण

परीक्षा के दौरान सभी केंद्रों पर कैमरों की निगरानी की व्यवस्था की गई है। जिला स्तर पर एक कंट्रोल एंड कमांड सेंटर बनाया गया है, जो पूरे जिले में परीक्षा की लाइव मॉनिटरिंग करेगा। जिन विद्यालयों में सीसीटीवी कैमरे उपलब्ध नहीं हैं, वहाँ निरीक्षण दलों को भेजा गया है ताकि पारदर्शिता बनी रहे। प्रश्नपत्रों को परीक्षा शुरू होने से एक घंटे पहले संबंधित थाने से केंद्र अध्यक्ष प्राप्त करेंगे। छात्रों और शिक्षकों के सामने प्रश्नपत्र के पैकेट खोले जाएंगे, ताकि किसी प्रकार की अनियमितता की गुंजाइश न रहे।

वार्षिक परीक्षा की तैयारी में मददगार

अर्धवार्षिक परीक्षा का मुख्य उद्देश्य छात्रों को वार्षिक परीक्षा की तैयारी के लिए अभ्यास अवसर प्रदान करना है। कलेक्टर ने छात्रों से अपील की है कि वे अक्टूबर तक कराए गए पूरे पाठ्यक्रम का गंभीरता से अध्ययन करें और ईमानदारी के साथ परीक्षा दें। यह प्रयास उनकी शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार लाएगा, साथ ही सभी विद्यार्थियों में आत्मविश्वास और जिम्मेदारी की भावना भी विकसित करेगा।

दमोह मॉडल बन सकता है उदाहरण

शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि दमोह जिले का यह प्रयास प्रदेश के अन्य जिलों के लिए भी एक प्रेरणादायक मॉडल बन सकता है। बोर्ड जैसी सख्त परीक्षा व्यवस्था से छात्र समय प्रबंधन, अनुशासन और परीक्षा के तनाव को संभालना सीखेंगे, जिससे भविष्य की प्रतियोगी परीक्षाओं में भी उन्हें लाभ मिलेगा। फिलहाल कलेक्टर कोचर की इस पहल को प्रशासनिक नवाचार के उदाहरण के रूप में यहां देखा जा रहा है, चर्चा यहां यह भी हो रही है कि सही दिशा में उठाया गया कदम है, इसे शिक्षा के स्तर सुधारने की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा सकता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / हंसा वैष्णव