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भूमि, जल व उर्जा संसाधनों पर बढ़ता दबाव मानव जीवन के लिए गंभीर चुनौती बनाटर्की, जापान, फ्रांस व डेनमार्क के प्रतिनिधि अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे
हिसार, 3 नवंबर (हि.स.)। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में ‘संसाधन प्रबंधन, सतत कृषि, खाद्य, पर्यावरण एवं स्वास्थ्य’ (सफर) 2025 विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय में आयोजित सम्मेलन का उद्घाटन कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड (एएसआरबी) के चेयरमैन एवं मुख्य अतिथि डॉ. संजय कुमार ने किया, जबकि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बलदेव राज कम्बोज ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। यह सम्मेलन हकृवि एवं सोसाइटी फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर एंड रिसोर्स मैनेजमेंट, (एसएसएआरएम) हिसार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। एएसआरबी चेयरमैन डॉ संजय कुमार ने साेमवार काे अपने संबोधन में कहा कि आज विकास तीव्र गति से हो रहा है परंतु इसके साथ प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन भी हो रहा है। भूमि, जल और उर्जा संसाधनों पर बढ़ता दबाव मानव जीवन के लिए गंभीर चुनौती बन चुका है। ऐसे में सतत संसाधन प्रबंधन का महत्व ओर भी बढ़ जाता है। यह न केवल कृषि उत्पादन को टिकाऊ बनाता है बल्कि खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और मानव स्वास्थ्य को भी सुनिश्चित करता है। सतत कृषि और इसकी आवश्यकताओं पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि मानव आबादी के लिए पर्याप्त खाद्यान्न उत्पादन के अलावा पशुधन के लिए चारे व दाने की आपूर्ति करना भी उतना ही आवश्यक है। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संतुलन के लिए स्थानीय और मौसमी खाद्य पदार्थों को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है। सम्मेलन में उपरोक्त विषय से संबंधित विभिन्न पुस्तकों का भी विमोचन किया गया।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. बलदेव राज कम्बोज ने कहा कि कृषि, खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। जलवायु परिवर्तन, जल संकट, भूमि क्षरण और रासायनिक प्रदूषण जैसी चुनौतियां तेजी से बढ़ रही हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए सतत संसाधन प्रबंधन अपनाना समय की आवश्यकता है ताकि कृषि उत्पादन टिकाऊ हो। उन्होंने बताया कि गत पांच वर्षों के दौरान विश्वविद्यालय ने राया, गन्ना, मूंग और गेहूं सहित विभिन्न फसलों की 44 उन्नत किस्में विकसित की है। इसके अतिरिक्त विभिन्न फसलों की उन्नत किस्में विकसित करने की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने बताया कि इजाद की गई उन्नत किस्मों ने हरियाणा सहित देश के विभिन्न राज्यों में रिकार्ड उत्पादन किया है।विशिष्ट अतिथि फ्रांस के आर्थर रीडैकर ने सतत कृषि, खाद्य पर्यावरण सहित विभिन्न बिन्दुओं पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने लैंड यूज एफिशिएंसी बढ़ाने के लिए मृदा में उचित आर्गेनिक कार्बन का स्तर बनाए रखते हुए फसलों की उत्पादकता बढाने पर बल दिया।एसएसएआरएम के प्रधान एवं जबलपुर कृषि विश्वविश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. डीपी सिंह ने सोसाइटी द्वारा विद्यार्थियों को शोध के क्षेत्र में प्रोत्साहित करने के लिए दी जाने वाली फैलोशिप के बारे में बताया व देश-विदेश में आयोजित की गई सम्मेलनों के बारे में जानकारी दी। बायर क्रॉप साइंस के कृषि मामलों के निदेशक डॉ. राजबीर राठी ने बताया कि वर्तमान समय में ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए उचित प्रयास करने जरूरी हैं। इस अवसर पर प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एवं एसएसएआरएम से जुड़े डॉ. आरके बहल भी उपस्थित रहे।सम्मेलन में सभी का स्वागत करते हुए आयोजन सचिव व अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने विश्वविद्यालय में किए जा रहे शोध कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। सम्मेलन के संयोजक एवं कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एसके पाहुजा ने सभी का धन्यवाद किया। मंच का संचालन डॉ. जयंती टोकस ने किया। इस अवसर पर टर्की, जापान, फ्रांस व डेनमार्क के प्रतिनिधि, देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, सोसाइटी फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर एंड रिसोर्स मैनेजमेंट के प्रतिनिधि, इंडियन सोसाइटी ऑफ फॉरेज रिर्सच, हिसार के प्रतिनिधि सहित हकृवि के कुलसचिव, विभिन्न महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक, अधिकारी, विभागाध्यक्ष, वैज्ञानिक एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर