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मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने नीति आयोग के ‘री-इमेजिंग एग्रीकल्चर : अ रोडमैप फॉर फ्रंटियर टेक्नोलॉजी लेड ट्रांसफॉर्मेशन’ का अनावरण किया
गांधीनगर, 03 नवंबर (हि.स.)। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने सोमवार को कहा कि देश के कृषि क्षेत्र को भविष्य के लिए तैयार करने का यह रोडमैप एक महत्वपूर्ण ब्लूप्रिंट है। मुख्यमंत्री आज नीति आयोग के नीति फ्रंटियर टेक हब द्वारा तैयार किए गए ‘री-इमेजिंग एग्रीकल्चर : अ रोडमैप फॉर फ्रंटियर टेक्नोलॉजी लेड ट्रांसफॉर्मेशन’ लॉन्च के अवसर पर बोले रहे थे। यह जानकारी राज्य सूचना विभाग ने अपने बयान में दी।
मुख्यमंत्री पटेल ने कहा कि किसानों के हित में टेक्नोलॉजी को प्रोत्साहन देने के लिए नीति आयोग के राष्ट्रीय स्तर के महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट का आज गुजरात की भूमि से अनावरण हुआ है। यह राज्य के लिए गौरव का विषय है। इतना ही नहीं; यह रोडमैप टेक्नोलॉजी ड्रिवन डेवलपमेंट के माध्यम से अन्नदाता के सपने साकार करने का आधार बनेगा। उन्होंने कहा कि इस रोडमैप में टेक्नोलॉजी को केवल मशीनरी तक सीमित न रखते हुए डेटा कनेक्टिविटी तथा इंटेलिजेंस को सीधे कृषि व्यवस्था में एकीकृत करने का विजन रखा गया है। उन्होंने यह मत भी व्यक्त किया कि इस रोडमैप के मुख्य दिशानिर्देश कृषि क्षेत्र में गुजरात के विजन के साथ पूर्णतः सुसंगत हैं।
उन्होंने नीति आयोग की महत्वपूर्ण पहलों को साकार करने में गुजरात के अग्रणी भूमिका निभाने का उल्लेख करते हुए कहा कि नीति आयोग के मार्गदर्शन में आज देश में जो चार ग्रोथ हब विकसित किए जा रहे हैं, उनमें सूरत इकोनॉमिक रीजन भी शामिल है। इस रीजन के 6 जिलों को ग्रोथ हब के रूप में विकसित करने की शुरुआत हो गई है।
उन्होंने कहा कि नीति आयोग के पैटर्न पर गुजरात ने भी राज्य स्तर पर एक थिंक टैंक ‘गुजरात राज्य इंस्टीट्यूशन ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन’ यानी ग्रिट की स्थापना की है। उन्होंने इसका उल्लेख करते हुए आगे कहा कि ग्रिट के माध्यम से गुजरात ने राज्य के 6 आर्थिक क्षेत्रों के विकास के लिए हाल ही में रीजनल इकोनॉमिक मास्टर प्लान भी लॉन्च किए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डिजिटल एग्रीकल्चर को प्रोत्साहन देने के लिए नेशनल ई-गवर्नेंस प्लान फॉर एग्रीकल्चर, डिजिटल क्रॉप सर्वे तथा फार्मर रजिस्ट्री जैसी योजनाओं का क्रियान्वयन शुरू किया गया है। डिजिटल एग्रीकल्चर अंतर्गत किसानों को राज्य सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभ मिलें, इसके लिए ऑनलाइन आवेदन तथा भुगतान सुविधा प्रदान करने के लिए आई-पोर्टल विकसित किया गया है। डिजिटल एग्रीकल्चर को अधिक सफल बनाने के लिए गुजरात ने एक डेडिकेटेड डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तथा इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी टेक्नोलॉजी की सहायता से भूमि की उपज क्षमता, फसल में होने वाले रोग एवं पोषक तत्वों की जानकारी अब अधिक तेजी से प्राप्त हो सकेगी। नेक्स्ट जनरेशन सीड्स, इक्विपमेंट टूल्स तथा इनपुट्स में नवीनता लाकर खेती में लागत खर्च कम घटाने तथा पर्यावरणीय हानि से बचने के प्रयास भी हो रहे हैं।
इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार डॉ. हसमुख अढिया, कृषि विभाग की अपर मुख्य सचिव डॉ. अंजू शर्मा, एटीई चंद्र फाउंडेशन के सह-संस्थापक अमित चंद्र तथा उच्चाधिकारी एवं आमंत्रित अतिथि उपस्थित रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / Abhishek Barad