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कोरबा/जांजगीर-चांपा, 26 नवम्बर (हि. स.)। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने आज बुधवार को जांजगीर-चांपा कलेक्ट्रोरेट सभाकक्ष में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों की जनसुनवाई की। यह प्रदेश स्तर की 352वीं तथा जिले में 13वीं सुनवाई रही। जनसुनवाई में महिला उत्पीड़न, वेतन भुगतान, फर्जीवाड़ा व न्यायालय आदेश के पालन न होने से जुड़े मामलों पर सुनवाई की गई। इस दौरान विधायक अकलतरा राघवेन्द्र कुमार सिंह भी उपस्थित रहे।
पहले प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसे 17 माह का वेतन 10,500 रुपए प्रतिमाह के अनुसार अब तक नहीं मिला है। उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद लगभग सात माह बीत जाने पर भी भुगतान न होने पर आयोग ने आवेदिका को सुझाव दिया कि वह अनावेदक अधिकारियों के विरुद्ध अवमानना याचिका प्रस्तुत कर सकती है। प्रकरण की अगली सुनवाई दो माह बाद रायपुर में रखी गई और आज की कार्यवाही की प्रति निःशुल्क प्रदान की गई।
दूसरे मामले में आवेदिका उपस्थित थी, परंतु आवेदक लगातार अनुपस्थित रहे। पूर्व में एफआईआर दर्ज कराने निर्देश दिए जा चुके थे, किंतु आवेदिका द्वारा एफआईआर अभी तक दर्ज नहीं की गई। आयोग ने उन्हें पुनः सलाह दी कि न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत कर न्याय प्राप्त करें। आदेशशीट की प्रति निःशुल्क उपलब्ध कराते हुए यह प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य मामले में आवेदिका एवं अनावेदक दोनों उपस्थित हुए। दस्तावेजों के अनुसार थाना अकलतरा में पूर्व में धारा 420, 465, 467, 471 एवं 34 के तहत एफआईआर दर्ज की जा चुकी है, परंतु यह स्पष्ट नहीं कि चालान न्यायालय में प्रस्तुत हुआ है या नहीं। आयोग ने केन्द्र प्रशासिका को निर्देशित किया कि थाना अकलतरा से चालान प्रस्तुति की प्रति प्राप्त कर आयोग में प्रस्तुत करें। आदेशशीट व प्रति संबंधित पक्षों को निःशुल्क प्रदान की गई।अगले प्रकरण में आवेदिका उपस्थित रही और बताया कि अनावेदक दंतेवाड़ा में आरक्षक के रूप में पदस्थ है तथा परिवार न्यायालय जांजगीर के आदेशानुसार सात लाख रुपये का भुगतान नहीं किया गया है। आयोग ने आदेश दिया कि आवेदिका 7 लाख रुपये मय ब्याज की अधिकारी है और आदेश की प्रति निःशुल्क प्रदान की गई।
एक अन्य मामले में आवेदिका ने बताया कि वह अनावेदिका का पूरा पता उपलब्ध नहीं करा पा रही, साथ ही उसके पुत्र की गुमशुदगी रिपोर्ट भी दर्ज हो चुकी है। आयोग ने सखी प्रशासिका के माध्यम से अनावेदिका का पता दो माह में उपलब्ध कराने के निर्देश दिए, जिसके बाद सुनवाई आगे बढ़ाई जाएगी।आखिरी प्रकरण में आवेदिका ने जमीन की फर्जी रजिस्ट्री का आरोप लगाया। शिकायत थाना डभरा एवं उपपंजीयक को दी जा चुकी है पर कार्यवाही नहीं हुई। मामले को गंभीर मानते हुए आयोग ने सखी प्रशासिका को निर्देश दिया कि वह आवेदिका की सहायता कर अनावेदकों का पता व मोबाइल नंबर उपलब्ध कराए, एफआईआर दर्ज कराए तथा दो माह में रिपोर्ट आयोग को सौंपे, ताकि अगली सुनवाई रायपुर में शीघ्र आयोजित की जा सके।
महिला संबंधित प्रकरणों में त्वरित निष्पादन व न्याय दिलाने के उद्देश्य से यह सुनवाई महत्वपूर्ण रही। आयोग ने स्पष्ट किया कि महिलाओं के अधिकार एवं संरक्षण से जुड़े मामलों में लापरवाही स्वीकार्य नहीं होगी।
हिन्दुस्थान समाचार / हरीश तिवारी