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— डेयरी विज्ञान एवं खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग में रक्तदान
वाराणसी,26 नवंबर(हि.स.)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के डेयरी विज्ञान एवं खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग के कामधेनु सभागार में बुधवार को भारत के श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज़ कुरियन की जयंती उत्साह के साथ मनाई गई।
बीएचयू के इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज विभाग, भारतीय डेयरी संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश चैप्टर तथा टाटा कैंसर अस्पताल के सहयोग से सभागार में जयंती पर मेगा रक्तदान शिविर का आयोजन भी किया गया। प्रात: नौ बजे से शाम तक कुल 62 स्वयंसेवकों ने रक्तदान के लिए पंजीकरण कराया। इसमें से 42 ने रक्तदान किया। इसमें छात्र, शोधार्थी, संकाय सदस्य और विभिन्न संस्थानों के प्रतिनिधि भी शामिल रहे।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज के कार्यवाहक निदेशक डॉ. एस. के. सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय दुग्ध दिवस केवल डेयरी क्षेत्र का उत्सव नहीं, बल्कि यह सेवा, सहयोग और समर्पण की उस मूल भावना को सम्मानित करने का अवसर है। जिसे डॉ. वर्गीज़ कुरियन ने अपने जीवन में आत्मसात किया। उन्होंने कहा कि रक्तदान मानवता की सर्वोच्च सेवा है और यह देखकर अत्यंत प्रसन्नता होती है कि बीएचयू के छात्र न केवल शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, बल्कि समाज के प्रति अपने कर्तव्य को भी समझते हुए सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने विद्यार्थियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति और उनके उत्साह की सराहना करते हुए कहा कि बीएचयू ऐसे ही प्रयासों से अपनी परम्परा को और सुदृढ़ करता रहेगा। उन्होंने आयोजन समिति, टाटा कैंसर अस्पताल की चिकित्सा टीम और सभी स्वयंसेवकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।
विभागाध्यक्ष डॉ. आर. के. दुआरी ने कहा कि दूध और रक्त दोनों ही जीवन से जुड़े तत्व हैं। दूध शरीर को पोषण देता है और रक्त जीवन को गति और संतुलन प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि डॉ. वर्गीज़ कुरियन ने भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पोषण सुरक्षा में अभूतपूर्व योगदान दिया है और उसी भावना से प्रेरित होकर यह रक्तदान शिविर विभाग में प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है।
छात्र सलाहकार डॉ. अमिताव रक्शित ने कहा कि विश्वविद्यालय जीवन केवल पुस्तकों का ज्ञान नहीं, बल्कि यह चरित्र निर्माण, नेतृत्व और मानवता के विकास का पवित्र अवसर है। रक्तदान जैसे आयोजन विद्यार्थियों में सहानुभूति, साहस और सामाजिक दायित्व की भावना को विकसित करते हैं। उन्होंने कहा कि कैंसर, थैलेसीमिया और गंभीर शल्य चिकित्सा से गुजर रहे मरीजों के लिए रक्त एक अमूल्य जीवनाधार है और छात्रों का यह योगदान अनगिनत परिवारों के लिए प्रकाश की किरण बन सकता है। इंडियन डेयरी एसोसिएशन पूर्वी उत्तर प्रदेश चैप्टर के अध्यक्ष तथा विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अरविंद ने भी विचार प्रकट किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी