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लखनऊ,26 नवंबर (हि.स.)। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में बुधवार को 'संविधान दिवस' के अवसर पर विधि विभाग की ओर से 'भारतीय संविधान के 75 वर्ष: सामाजिक-आर्थिक न्याय के माध्यम से विकसित भारत का मार्ग-मानचित्र' विषय पर आयोजित द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ।
मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), होम गार्ड एवं नागरिक सुरक्षा धर्मवीर प्रजापति ने बोलते हुए कहा कि भारत का संविधान हमें समानता, स्वतंत्रता और न्याय का अधिकार देता है और राष्ट्रनिर्माण में प्रत्येक नागरिक के कर्तव्यों की याद भी दिलाता है। अतः हमें संविधान के मूल्यों को अपने व्यवहार में उतारते हुए एक समरस, संवेदनशील और विकसित समाज के निर्माण में योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज भी समाज में विभिन्न स्तरों पर असमानताएं देखने को मिलती हैं, लेकिन मात्र संविधान के द्वारा उन असमानताओं को दूर किया जा सकता है। बाबा साहब के आदर्शों को अपनाकर सामाजिक जीवन में व्याप्त कुरीतियों और भेदभाव को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
बीबीएयू कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने अपने विचार रखते हुए कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत की अर्थव्यवस्था अत्यंत कमजोर और बिखरी हुई थी, जिसे एक लंबी साधनात्मक यात्रा के बाद संभाला गया, और इस दिशा में भारत के संविधान का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि आज भारत एक उभरता हुआ, तीव्र गति से प्रगतिशील राष्ट्र है, और यदि हमें वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र तथा 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है, तो आवश्यक है कि प्रत्येक नागरिक को रोजगार उपलब्ध हो, सभी के जीवन-स्तर में सुधार आए और समग्र विकास की प्रक्रिया में किसी को पीछे न छोड़ा जाए।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं बाबासाहेब के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई।----------
हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन