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काठमांडू, 26 नवंबर (हि.स.)। सार्क प्रोग्रामिंग समिति का 61वां अधिवेशन बुधवार को वर्चुअल माध्यम से प्रारंभ हुआ। इस बैठक में सार्क के सभी सदस्य देशों के वरिष्ठ अधिकारी, विभिन्न विशिष्टीकृत निकायों एवं क्षेत्रीय केंद्रों के प्रमुख, तथा सार्क सचिवालय के अधिकारी शामिल हुए हैं।
इस वर्ष के अधिवेशन की अध्यक्षता नेपाल कर रहा है। बैठक में बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका के संयुक्त सचिव एवं महानिदेशक स्तर के अधिकारियों ने हिस्सा लिया। अधिवेशन के दौरान समिति वर्ष 2026 के लिए सार्क के विशिष्टीकृत निकायों एवं क्षेत्रीय केंद्रों के बजट तथा गतिविधियों के कैलेंडर की समीक्षा कर उसे अंतिम रूप देगी।
बैठक का औपचारिक उद्घाटन नेपाल के विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव तथा प्रोग्रामिंग समिति के अध्यक्ष किरण शाक्य ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि सार्क दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय संवाद, सहयोग और सामूहिक प्रयास का एक महत्वपूर्ण मंच है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि सार्क को समयानुकूल विकसित करते हुए इसकी संस्थागत क्षमता को सुदृढ़ करना आवश्यक है। साथ ही दक्षिण एशिया की जनता को प्रत्यक्ष लाभ पहुँचाने वाले कार्यों को आगे बढ़ाना अनिवार्य है।
सार्क के महासचिव मो. गोलाम सरवर ने सदस्य देशों के बीच आपसी सहयोग की तत्परता की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रोग्रामिंग समिति की भूमिका को सार्क चार्टर के अनुरूप और अधिक प्रभावी बनाया जाना चाहिए। बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सार्क की स्थापना का उद्देश्य यही है कि दक्षिण एशियाई देश सहयोग और साझा प्रयासों के माध्यम से व्यक्तिगत रूप से अधिक, बल्कि सामूहिक रूप से सर्वोत्तम उपलब्धियाँ हासिल कर सकें। इसलिए सभी सदस्य राष्ट्रों का मिलकर काम करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। महासचिव ने यह भी उल्लेख किया कि निकट भविष्य में सार्क अपने चार्टर स्वीकृति के 40 वर्ष पूर्ण होने का गौरवशाली अवसर मनाने जा रहा है, जो उत्सव के साथ-साथ भविष्य की दिशा पर पुनर्विचार का महत्वपूर्ण समय होगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / पंकज दास