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कोलकाता, 26 नवम्बर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को दावा किया कि संसद भवन में वंदे मातरम और जय हिंद का नारा लगाने से सांसदों को रोका गया है। उन्होंने इसे बंगाल की अस्मिता से जोड़ा और कहा कि बंगाल के मनीषियों ने इसे लिखा था इसलिए इसके उच्चारण पर रोक लगाई जा रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या ऐसे कदम बंगाल की पहचान को कमजोर करने की कोशिश हैं।
साल 2024 में राज्यसभा सचिवालय ने सदस्यों को सदन के भीतर और बाहर ऐसे नारों के उपयोग से बचने की सलाह दी थी, क्योंकि इसे संसदीय शिष्टाचार के विरुद्ध माना गया। इस संबंध में दिशा-निर्देश ‘हैंडबुक फॉर मेंबर्स ऑफ राज्यसभा’ में शामिल किए गए थे और इन्हें सत्र आरंभ होने से पहले जारी किया गया था।
अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद ममता बनर्जी ने कहा कि उन्होंने मीडिया रिपोर्टों में देखा है कि संसद के भीतर इन नारों के उच्चारण पर आपत्ति जताई जा रही है। उन्होंने कहा कि वह इसकी सच्चाई जानने के लिए अपने सांसदों से बात करेंगी।
ममता बनर्जी ने कहा कि ‘वन्दे मातरम्’ देश का राष्ट्रगीत है और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यह नारा संघर्ष की पहचान था। उन्होंने पूछा कि क्या अब इस विरासत को भुलाने की कोशिश की जा रही है। उनके अनुसार बंगाल हमेशा लोकतंत्र, एकता और विविधता की रक्षा के लिए खड़ा रहा है और देश का अभिन्न अंग है।
उन्होंने कहा कि बंगाल की पहचान भारत से अलग नहीं है और राज्य ने हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों, धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया है।
उल्लेखनीय है कि, ‘वन्दे मातरम्’ 1870 के दशक में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित है, 1950 में आधिकारिक रूप से राष्ट्रगीत घोषित किया गया। वहीं ‘जय हिन्द’ का नारा 1907 में जैनुल आबिदीन हसन ने दिया था और बाद में सुभाष चंद्र बोस के सुझाव पर आजाद हिन्द फौज में व्यापक रूप से अपनाया गया। ----------------------
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर