मप्र जन अभियान परिषद ने मनाया संविधान दिवस
- गुलामी की मानसिकता से मुक्ति ही संविधान का मूल संदेशः मोहन नागर भोपाल, 26 नवंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश जन अभियान परिषद द्वारा बुधवार को संविधान दिवस के अवसर पर “भारतीय संविधान और नागरिक कर्तव्य” विषय पर राज्य स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन संचालनालय साम
संविधान दिवस (प्रतीकात्मक तस्वीर)


- गुलामी की मानसिकता से मुक्ति ही संविधान का मूल संदेशः मोहन नागर

भोपाल, 26 नवंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश जन अभियान परिषद द्वारा बुधवार को संविधान दिवस के अवसर पर “भारतीय संविधान और नागरिक कर्तव्य” विषय पर राज्य स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन संचालनालय सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण, भोपाल के सभागार में किया गया। इस अवसर पर परिषद द्वारा गठित 8,000 ग्राम विकास प्रस्फुटन समितियों को 6 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि सिंगल क्लिक के माध्यम से हस्तांतरित की गई। साथ ही परिषद और विवेकानंद केन्द्र, कन्याकुमारी के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर हुए। इस दौरान उपस्थित सभी प्रतिभागियों को संविधान की शपथ भी दिलाई गई।

कार्यक्रम में मप्र जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष मोहन नागर ने कहा कि भाषा, भ्रमण, भोजन और वेशभूषा गुलामी की मानसिकता से जकड़ी हुई हैं। हमें इस मानसिकता से बाहर निकलना है और देश की संस्कृति और सभ्यता की ओर लौटना है। संविधान भी इसी बात की प्रेरणा देता है। भारतीय संविधान हमें नागरिक कर्तव्यों का बोध कराता है। कानूनों, नियमों का पालन डर से नहीं बल्कि कर्तव्य के रूप में होना चाहिए।

अपर मुख्य सचिव विशिष्ट अतिथि योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी संजय शुक्ला ने कहा कि संविधान हमें समान अधिकार देता है, परंतु कर्तव्यों के प्रति सजग होना भी आवश्यक है। नागरिकों का आचरण, चरित्र और स्वास्थ्य उत्तम होने पर ही वे अपने दायित्व बेहतर ढंग से निभा सकते हैं। उन्होंने परिषद के व्यापक नेटवर्क और जनसहभागिता आधारित कार्यप्रणाली की सराहना की।

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविदयालय के कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी ने कहा कि हमारा संविधान ही देश की आर्थिक समृद्धि का वास्तविक रोडमैप है।भारत की तरक्की का कारण हमारा संविधान ही है, क्योंकि इसमें हर नागरिक को फलने-फूलने की पूरी स्वतंत्रता और समान अवसर दिए गए हैं।उन्होंने नागरिक कर्तव्यों के प्रति समर्पण को राष्ट्र-निर्माण का आधार बताया।

राष्ट्रीय विधि संस्थान विश्वविदयालय भोपाल की डॉ. राका आर्य ने कहा कि पिछले 70 वर्षों में संविधान के संदर्भ में हमने क्या पाया, क्या खोया तथा आगे क्या करना है—इस पर विचार आवश्यक है। अधिकारों से अधिक कर्तव्यों का महत्व है, क्योंकि अधिकार “मैं” और कर्तव्य “हम” से जुड़े होते हैं।

कार्यक्रम की शुरुआत में परिषद के कार्यपालक निदेशक डॉ. बकुल लाड़ ने बताया कि परिषद स्वैच्छिकता, सामूहिकता और स्वावलंबन के मूल्यों पर आधारित अपने व्यापक नेटवर्क के माध्यम से प्रदेशभर में आत्मनिर्भरता का संदेश पहुंचा रही है।शासकीय योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में परिषद की महत्वपूर्ण भूमिका है। संगोष्ठी में परिषद के जमीनी नेटवर्क के प्रतिनिधि, राज्य कार्यालय के अधिकारी-कर्मचारी, तथा संभाग, जिला एवं विकासखंड समन्वयक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर