Enter your Email Address to subscribe to our newsletters

लखनऊ, 26 नवंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ साइबर क्राइम सेल ने बुधवार को ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो एमबीबीएस, डीफार्मा और इंजीनियरिंग कोर्सेस में एडमिशन दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी कर रहे थे। गिरोह का सरगना समेत दो लोग पकड़े गए हैं, जिन्होंने यूपी समेत कई राज्यों में ठगी की है।
साइबर क्राइम प्रभारी बृजेश कुमार यादव ने बताया कि पकड़े गए अपराधियों में बिहार के औरंगाबाद निवासी प्रेमशंकर विद्यार्थी उर्फ अभिनव शर्मा और समस्तीपुर निवासी संतोष कुमार शामिल है। प्रेमशंकर गिरोह का सरगना है। उनके पास से पुलिस को करीब पांच लाख रुपये नकद, कई मोबाइल, छह सीपीयू, छह मॉनिटर,कई विभागों की मोहरें, चेकबुक और ठगी में इस्तेमाल किया जाने वाला पूरा सेटअप बरामद हुआ हैं।
प्रभारी ने बताया कि ठगी का मामला तब उजागर हुआ जब पीड़ित इंदिरानगर निवासी विजय बहादुर ने साइबर थाना पर तहरीर दी कि कुछ लोगों ने अपने आपको हिंद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज का प्रतिनिधि बताकर उससे 45 लाख रुपये की धोखाधड़ी की है। जांच में खुलासा हुआ कि गिरोह में शामिल लोग लंबे समय से कम मेरिट वाले नीट अभ्यर्थियों और उनके परिवारों का डाटा खरीदकर उन्हें फोन करते थे। आरोपित फर्जी वेबसाइट, इंस्टाग्राम पेज और एडमिशन कंसल्टेंसी बनाकर यह दावा करते थे कि वे मैनेजमेंट कोटे में एमबीबीएस सीट दिलवा देंगे। इसी गिरोह ने राजेश वर्मा से 20 लाख, दीप सिंह से 38 लाख, प्रीति सिंह से 23 लाख, अनिल कुमार से 18 लाख और स्मिता राव से 45 लाख रुपये ठगे थे।
साइबर क्राइम प्रभारी ने बताया कि मुख्य आरोपित प्रेमशंकर विद्यार्थी, जो पिछले कई वर्षों से अलग‑अलग राज्यों में फर्जी एडमिशन कंसल्टेंसी खोलकर फरारियों की जिंदगी जी रहा था। वह पकड़े जाने से बचने के लिए लोगों की अलग‑अलग आईडी और फर्जी नामों का इस्तेमाल कर रहा था। टीम ने उसे कठौता झील के पास से दबोचा, जब वह अपने लोगों से मिलने आया था। पूछताछ में आरोपित ने स्वीकार किया कि वह नीट अभ्यर्थियों का डाटा खरीदता था और खुद को बड़े मेडिकल कॉलेजों का प्रतिनिधि बताकर करोड़ों रुपये वसूलता था। कई राज्यों में इसके खिलाफ मुकदमे दर्ज हैं। गिरोह के बाकी सदस्यों और बैंक खातों की जांच जारी है।---------------
हिन्दुस्थान समाचार / Harsh Gautam