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जयपुर, 26 नवंबर (हि.स.)। जेडीए और दूसरे शहरों ेमं संचालित विकास प्राधिकरण या नगरीय निकाय (नगर निगम या परिषद) के खर्चो की ऑडिट प्रधान महालेखाकार से करवाने की सिफारिश राज्य सरकार से की गई है। पिछले दिनों कैग ने इस संबंध में एक पत्र राज्य सरकार को लिखा है। कैग की तरफ से लिखे पत्र में बताया गया कि ऐसी लोकल बॉडी या ऑथोरिटी जो केन्द्र और राज्य सरकार से ग्रांट लेती है या लोन लेती है। उनकी ऑडिट कैग से करवाने का प्रावधान है। अगर राज्य सरकार या केन्द्र सरकार किसी ऑथोरिटी या लोकल बॉडी को 25 लाख रुपए से ज्यादा की ग्रांट और उक्त ऑथोरिटी या बॉडी के कुल खर्चे के 75 फीसदी के बराबर लोन (ऋण) देती है तो वह कैग ऑडिट के दायरे में आता है। कैग ने अपने इस पत्र में जयपुर जेडीए के पांच सालों के बजट की रिपोर्ट पेश की। इसमें बताया कि जेडीए ने साल 2019-20 में जितनी सरकारी जमीन बेची, उस जमीन से मिली आय में से सरकार को कुल 260.47 करोड़ रुपए देने थे। इसके अलावा अरबन असेसमेंट रेवेन्यू, फायर सेस और नियमन चार्ज के पेटे भी राज्य सरकार को 68.83 करोड़ रुपए का भुगतान करना था, जो नहीं किया गया। सरकार से अप्रत्यक्ष तौर पर जेडीए को 329.30 करोड़ मिले इस तरह सरकार से अप्रत्यक्ष तौर पर जेडीए को कुल 329.30 करोड़ रुपए मिले। जबकि इस वित्तवर्ष में जेडीए का कुल खर्चा 646.97 करोड़ रुपए हुआ था। इस तरह सरकार की तरफ से मिली अप्रत्यक्ष राशि (इसे ग्रांट या लोन के तौर पर माना गया) कुल खर्चे का 50.66 फीसदी रहा। वहीं, साल 2020-21, साल 2021-22, साल 2022-23 और साल 2023-24 में जेडीए को अप्रत्यक्ष तौर पर क्रमश: 600.60 करोड़, 670.05 करोड़, 1368.90 करोड़ और 1739.40 करोड़ रुपए मिले। जो जेडीए के कुल खर्चे का 84 फीसदी से ज्यादा है।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजेश