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सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप, मांगपत्र सौंपा, कड़े आंदोलन की चेतावनी
हिसार, 26 नवंबर (हि.स.)। किसानों की लंबित मांगों व अन्य मुद्दों पर किसान
संगठनों ने जोरदार प्रदर्शन करके लघु सचिवालय के समक्ष धरना दिया। किसान आंदोलन के
पांच वर्ष पूर्ण होने पर किए गए इस प्रदर्शन में 17 किसान सगठनों और ट्रेड यूनियनों
ने बढ़चढ़कर भाग लिया। क्रांतिमान पार्क में एकत्रित हुए किसान संगठन और मार्च निकालते
हुए लघु सचिवालय तक पहुंचे और वहां धरना दिया।
किसान संगठनों ने बुधवार को किए गए इस प्रदर्शन के दौरान सरकार पर अनेक आरोप
जड़े। उन्होंने सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाया और कहा कि किसानों के कई
मामले लंबित पड़े हैं, मगर सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंग रही। किसान संगठनों ने
सचिवालय के मुख्य गेट पर राष्ट्रपति के नाम 24 सूत्रीय मांगपत्र जिला प्रशासन को सौंपा।
किसानों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने तत्काल समाधान नहीं किया, तो मोर्चा बड़े आंदोलन
के लिए मजबूर होगा। किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल क्रांतिमान
पार्क व लघु सचिवालय के बाहर तैनात किया गया। प्रदर्शन को लेकर सचिवालय के मेन गेट
बंद कर दिए गए।
किसान नेता शमशेर नंबरदार ने बताया कि 2025 की खरीफ फसल बाढ़, जलभराव और वायरस
के कारण पूरी तरह चौपट हो गई है, लेकिन अभी तक मुआवजे का निर्धारण नहीं हुआ है। किसानों
ने बाढ़ से हुए आर्थिक और मानवीय नुकसान की भरपाई, क्षतिग्रस्त ग्रामीण सड़कों की मरम्मत
और वर्ष 2023 की लंबित राहत राशि तुरंत जारी करने की मांग की। किसान नेताओं ने कहा
कि जलभराव और सेम की समस्या से जूझ रहे जिलों के लिए स्थायी जल निकासी व्यवस्था और
विशेष बजट का भी आग्रह किया गया।
इसके अतिरिक्त, किसानों ने पराली जलाने से संबंधित दर्ज
मामले वापस लेने, पराली प्रबंधन और डीएसआर (डायरेक्ट सीडिंग ऑफ राइस) के भुगतान जारी
करने, आत्महत्या पीड़ित परिवारों को 20 लाख रुपए का मुआवजा और नौकरी, मनरेगा को फिर
से शुरू करने, कर्ज माफी, गन्ने का रेट बढ़ाने, आवारा पशुओं पर नियंत्रण, पेंशन और
रोजगार जैसे मुद्दों पर भी सरकार का ध्यान आकर्षित किया।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर