कांकेर के किसान 'सेमियालता मॉडल' अपनाकर लाख का कर रहे उत्पादन
कांकेर, 26 नवंबर (हि.स.)। छत्तीसगढ़ का कांकेर जिला लाख उत्पादन के मामले में प्रदेश में नंबर वन बन गया है, जहां हर साल लगभग 7 हजार मीट्रिक टन लाख का उत्पादन होता है। पारंपरिक रूप से लाख का उत्पादन कुसुम और बेर के पेड़ों पर किया जाता है। हालांकि अब
कांकेर के किसान 'सेमियालता मॉडल' अपनाकर लाख का कर रहे उत्पादन


कांकेर, 26 नवंबर (हि.स.)। छत्तीसगढ़ का कांकेर जिला लाख उत्पादन के मामले में प्रदेश में नंबर वन बन गया है, जहां हर साल लगभग 7 हजार मीट्रिक टन लाख का उत्पादन होता है। पारंपरिक रूप से लाख का उत्पादन कुसुम और बेर के पेड़ों पर किया जाता है। हालांकि अब किसान 'सेमियालता मॉडल' अपनाकर लाख का उत्पादन कर रहे हैं। जिसे एक सफल मॉडल के रूप में विकसित किया गया है।

कृषि वैज्ञानिकों और किसानों के अनुसार, सेमियालता के पौधे पर लाख की खेती में शुरुआती लागत के बाद खर्च कम होता जाता है और प्रति एकड़ एक लाख रुपये तक की आय प्राप्त होती है। कांकेर न केवल देश में सबसे उच्च गुणवत्ता वाले लाख का उत्पादन कर रहा है, बल्कि यहां से अब अन्य राज्यों को भी लाख के बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। किसान पुरुषोत्तम मंडावी ने बताया कि उन्होंने 120 पौधों से लाख की खेती शुरू की थी और आज उनका सालाना टर्नओवर 8 से 10 लाख रुपये है। कांकेर पूरे प्रदेश में सबसे आगे है, जिसके कारण पूरे प्रदेश से लगभग 1200 किसान कांकेर के किसानों से जुड़े हुए हैं और उनके बीच बीज का आदान-प्रदान हो रहा है।

जिला कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ. बीरबल साहू ने बताया कि कांकेर में देश का सबसे उच्च गुणवत्ता वाला 'कुसुमी लाख' तैयार होता है। लाख के बीज की कमी को दूर करने के लिए सेमियालता में भी उत्पादन शुरू किया गया है। वर्तमान में, लगभग 60-70 एकड़ क्षेत्र में सेमियालता की फसल लगाई गई है।

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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे