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नई दिल्ली, 26 नवंबर (हि.स.)। साहित्य अकादमी और इंस्टीट्यूटो सर्वान्तीस के संयुक्त तत्वावधान में यहां फिरोज शाह रोड स्थित साहित्य अकादमी मुख्यालय के सभागार में बुधवार को एक काव्यपाठ का आयोजन किया गया। इसमें तीन स्पेनिश कवियों और दो भारतीय कवियों ने भाग लिया। इस अवसर पर आरंभिक वक्तव्य इंस्टीट्यूटो सर्वान्तीस की निदेशक मारिया गिल बर्मन ने प्रस्तुत किया और कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात अंग्रेजी लेखिका एवं अंग्रेजी परामर्श मंडल साहित्य अकादमी की संयोजक मालाश्री लाल ने की।
स्पेन के कवि फेलिपे जुआरिस्ती ने बास्क भाषा में अपनी कविता प्रस्तुत की, जिसका शीर्षक था ‘मेट्रोपोलिस’। लौरा जियार्दानी ने अपनी कविता ‘व्हाट यू टू दू’ प्रस्तुत की तथा राकेल सान्तानेरा ने कैटलन भाषा में ‘बाबा’ शीर्षक से कविता प्रस्तुत की। इन कविताओं के अंग्रेजी अनुवाद शुभ्र बंद्योपाध्याय ने किया। भारतीय कवियों में अभय के. ने अपनी कविता ‘लोर्का एंड आई इन न्यूयार्क’ प्रस्तुत की, जिसका स्पेनिश अनुवाद विकाश ने प्रस्तुत किया। लक्ष्मी कण्णन ने नदियों पर केंद्रित अपनी दो कविताएं प्रस्तुत कीं जो सरस्वती और कावेरी पर केंद्रित थी।
अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में मालाश्री लाल ने कहा कि आज यहां भारत और स्पेन के संबंधों को और प्रगाढ़ता मिली है। दोनों भाषाओं की कविताओं में एक जैसी प्रकृति और आध्यात्मिकता को महसूस किया जा सकता है। मारिया गिल बर्मन ने आरंभिक वक्तव्य में इंस्टीट्यूटो सर्वान्तीस के बारे में बताया और कहा कि तीसरी सबसे बड़ी भाषा होने के कारण हम चाहते हैं कि भारत में स्पेनिश भाषा का और प्रचार-प्रसार हो।
कार्यक्रम के प्रारंभ में सभी का स्वागत साहित्य अकादमी की सचिव पल्लवी प्रशांत होलकर ने पारंपरिक अंगवस्त्रम एवं पुस्तकें भेंट कर की। उन्होंने कहा कि इस तरह के सांस्कृति आदान-प्रदान कार्यक्रम से हम दोनों देशों की भाषाओं और संस्कृति की विविधता को महसूस कर सकते हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / अमरेश द्विवेदी