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रांची, 26 नवंबर (हि.स.)। झारखंड में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य में बड़े पैमाने पर चल रहे अवैध कोयला कारोबार को लेकर राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। बुधवार को आयोजित प्रेसवार्ता में उन्होंने दावा किया कि अवैध खनन में प्रशासन, पुलिस और मुख्यमंत्री आवास तक की मिलीभगत है।
मरांडी ने कहा कि पहले अवैध कोयला कारोबार में केवल कोयला माफिया और स्थानीय स्तर के लोगों की संलिप्तता होती थी, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। उनके मुताबिक अब पुलिस और कोयला माफिया साझेदारी में काम कर रहे हैं और इस अवैध व्यापार को संगठित ढंग से संचालित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि धनबाद क्षेत्र में निरसा, बाघमारा और झरिया में 20-25 थानों के दायरे में लगभग 30-40 जगहों से अवैध कोयला निकाला जा रहा है। मरांडी के अनुसार चर्चा है कि कोयला साइट लेने के लिए मुख्यमंत्री आवास से अनुमति जरूरी होती है और ऐसे अनुमोदन के बाद एक करोड़ रुपये एडवांस के रूप में वसूले जाते हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने दावा किया कि प्रतिदिन 150-200 ट्रक कोयला अवैध रूप से निकाला जाता है और प्रति टन 8 से 10 हजार रुपये का लेनदेन होता है। इस पूरे नेटवर्क में मुख्यमंत्री आवास ‘महाराजा’, एसएसपी ‘प्रधान सेनापति’ और डीसी ‘महामंत्री’ की भूमिका में होते हैं, जबकि थाना प्रभारी से लेकर डीएसपी, एसडीओ, ग्रामीण एसपी और खनन विभाग के अधिकारियों तक का हिस्सा तय है।
नाम लेते हुए मरांडी ने आरोप लगाया कि बाघमारा के डीएसपी पुरुषोत्तम सिंह पूर्व में मुख्यमंत्री के सुरक्षा कर्मी रहे हैं और वर्तमान में तीन प्रमुख साइटों का संचालन करवा रहे हैं। उन्होंने अन्य लोगों के नाम भी बताए जो कथित रूप से इस अवैध नेटवर्क में शामिल हैं।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इन आरोपों से असहमत हैं, तो इसकी उच्च स्तरीय जांच करानी चाहिए, ताकि सच्चाई सामने आ सके।
प्रेसवार्ता में पार्टी के मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक और प्रवक्ता रमाकांत महतो उपस्थित रहे।----------------
हिन्दुस्थान समाचार / विकाश कुमार पांडे